नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि कॉल ड्रॉप मुआवजा नियमों का अनुपालन न करने वाली दूरसंचार कंपनियों पर सुनवाई की अगली तारीख 6 जनवरी तक कोई जोर-जबर्दस्ती की कार्रवाई नहीं होगी. अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) पी एस नरमिम्हा ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी तथा न्यायमूर्ति जयंत नाथ के पीठ के समक्ष यह आश्वासन दिया.
पीठ ने आपरेटरों द्वारा कॉल ड्रॉप नियमनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई की तारीख 6 जनवरी तय की है. एएसजी ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि ये नियमन 1 जनवरी से लागू हो जायेंगे, जैसा पहले तय किया जा चुका है. आपरेटरों ने ट्राई के 16 अक्तूबर के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें आपरेटरों को अपने नेटवर्क पर ग्राहक को एक कॉल ड्रॉप के लिए एक रुपये का मुआवजा देना होगा.
एक ग्राहक को अधिकतम एक दिन में तीन रुपये तक मुआवजा मिल सकेगा. सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई), एसोसिएशन आफ यूनिफाइड टेलीकाम सर्विस प्रोवाइडर्स आफ इंडिया (ऑस्पी तथा वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस सहित 21 दूरसंचार आपरेटरों का कहना है कि यह फैसला यह जानते हुए भी लिया गया है कि किसी भी नेटवर्क को शतप्रतिशत कॉल ड्रॉप मुक्त बनाना संभव नहीं है. आपरेटरों की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि यह जुर्माना इस बात पर विचार किए बिना लगाया गया है कि आपरेटरों को ढांचागत मोर्चे पर समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं.
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