भारत-रुस के बीच तेल, गैस क्षेत्र में चार समझौते
ओवीएल को वंकोरनेफ्ट में मिलेगी हिस्सेदारी मास्को : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान यहां भारत और रूसी कंपनियों के बीच तेल एवं गैस क्षेत्र में चार बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. इनमें ओएनजीसी विदेश लिमिटेड को रूस के दूसरे सबसे बड़े तेल क्षेत्र वंकोरनेफ्ट में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण का समझौता […]
ओवीएल को वंकोरनेफ्ट में मिलेगी हिस्सेदारी
मास्को : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान यहां भारत और रूसी कंपनियों के बीच तेल एवं गैस क्षेत्र में चार बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. इनमें ओएनजीसी विदेश लिमिटेड को रूस के दूसरे सबसे बड़े तेल क्षेत्र वंकोरनेफ्ट में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण का समझौता भी शामिल है. दोनों देशों के बीच इन समझौते से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है. भारत रूस के आकर्षक पेट्रोलियम क्षेत्र में अपनी कंपनियों की पहुंच के लिए जोर देता रहा है.
जिन समझौतों को अंतिम स्वरुप दिया गया है उनसे इस यूरेशियाई देश में तेल एवं गैस उत्खनन में उल्लेखनीय मौजूदगी स्थापित करने में मदद मिलेगी. ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) और रूस की विशाल कंपनी रॉसनेफ्ट के साथ हुए समझौते के मुताबिक ओवीएल, 1.3 अरब डालर में साइबेरिया में वंकोरनेफ्ट तेल क्षेत्र में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी. ओवीएल और रॉसनेफ्ट ने रूसी परिसंघ के महाद्वीपीय पट्टी और तटीय हाइड्रोकार्बन के भूगर्भीय सर्वेक्षण, उत्खनन और उत्पादन में सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं.
एक अन्य समझौते के मुताबिक ऑयल इंडिया और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन ने तास-यूर्याख नेफ्टेगेजोदोबायचा तेल क्षेत्र में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए देनदारियों और परिसंपत्तियों की जांच तथा समझौते को अंतिम स्वरुप देने की संबंध मे गैर-बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये. तास-यूर्याख नेफ्टेगेजोदोबायचा, साइबेरिया में एक अन्य प्रमुख तेल क्षेत्र है.
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