साल 2015 में छोटे शेयरों ने दिया ब्लूचिप से अधिक रिटर्न
नयी दिल्ली : दलाल पथ पर इस साल यानी 2015 में छोटे शेयरों का जलवा रहा. यह लगातार दूसरा साल रहा जबकि मिड कैप और स्माल कैप ने बडी कंपनियों या ब्लूचिप से बेहतर प्रदर्शन किया. छोटे शेयरों ने साल के दौरान निवेशकों को छह प्रतिशत का रिटर्न दिया. वर्ष 2015 समाप्त होने को है. […]
नयी दिल्ली : दलाल पथ पर इस साल यानी 2015 में छोटे शेयरों का जलवा रहा. यह लगातार दूसरा साल रहा जबकि मिड कैप और स्माल कैप ने बडी कंपनियों या ब्लूचिप से बेहतर प्रदर्शन किया. छोटे शेयरों ने साल के दौरान निवेशकों को छह प्रतिशत का रिटर्न दिया. वर्ष 2015 समाप्त होने को है. साल के दौरान मिड कैप ने जहां निवेशकों को छह प्रतिशत का रिटर्न दिया है, वहीं स्माल कैप ने पांच प्रतिशत का रिटर्न दिया है. वहीं दूसरी ओर साल के दौरान बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में छह प्रतिशत से अधिक की गिरावट आयी है. हालांकि, मझोली और छोटी कंपनियों ने निवेशकों को इस साल जो रिटर्न दिया है वह पिछले साल 2014 की तुलना में काफी कम है.
पिछले साल इन कंपनियों ने निवेशकों को 60 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया था. सैमको सिक्योरिटीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिमीत मोदी ने कहा, ‘बाजार से वृद्धि की उम्मीदें 2014 में काफी बढी थीं, क्योंकि करीब 40 बरस में पहली बार किसी अकेली पार्टी का लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिला था. हालांकि, राजनीतिक प्रतिबद्धताओं की वजह से ऐसी चीजें नहीं हो पाईं जिनकी उम्मीद की जा रही थी.’ इस साल 4 मार्च को सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 30,024.74 अंक पर पहुंचा था. वहीं 8 सितंबर को यह अपने एक साल के निचले स्तर 24,833.54 अंक पर आया था.
मिडकैप सूचकांक 10 अगस्त को 11,666.24 अंक के उच्चस्तर तथा 7 मई को 9,983.55 अंक के निचले स्तर पर आया. स्माल कैप ने 5 अगस्त को अपना सर्वकालिक उच्चस्तर 12,203.64 अंक छुआ जबकि 25 अगस्त को यह 10,178.98 अंक के निचले स्तर पर आ गया था. जियोजीत बीएनपी परिबा के निवेश रणनीतिज्ञ वी के विजयकुमार ने कहा, ‘इस साल सेंसेक्स और निफ्टी करीब सात प्रतिशत तक नीचे आए हैं. जबकि 2014 में इन्होंने करीब 30 प्रतिशत का रिटर्न दिया था. बाजार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर तथा कारपोरेट आमदनी में बढोतरी की उम्मीद कर रहा था. ये उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं इसलिए बाजार में करेक्शन देखने को मिला.
सेंसेक्स और निफ्टी की ज्यादातर कंपनियों की विदेशों में निर्यात और जिंस कीमतों की वजह से काफी पहुंच है. निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है और जिंस कीमतों में गिरावट आयी है. ऐसे में ये कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशक अगस्त, 2015 से लगातार बिकवाली कर रहे हैं. वहीं घरेलू संस्थागत निवेशक पूरे साल लिवाली करते रहे. 24 अगस्त को घरेलू शेयर बाजारों में इतिहास की सबसे बडी गिरावट देखने को मिली. उस दिन सेंसेक्स में 1,624.51 अंक की एक दिन की सबसे बडी गिरावट आई. उस दिन निवेशकों की सात लाख करोड रुपये की पूंजी स्वाहा हो गई.
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