ई.मुद्रा के जरुरत से अधिक चलन ने बढ़ाई नियामकों की चिंता

नयी दिल्ली: इंटरनेट पर बिटक्वायन मुद्रा के तेजी से बढ़ते चलन को लेकर नियामक चिंतित हैं और उन्हें डिजिटल मुद्रा से जुड़ी मनी लांड्रिंग गतिविधियों व फर्जीवाड़ा करने वालों द्वारा भोले.भाले निवेशकों को ‘ई.पोंजी’ स्कीमों की ओर लुभाने के लिए इसका दुरपयोग करने की चिंता सता रही है. नियामकों के समक्ष डिजिटल मुद्रा को लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2013 2:29 PM

नयी दिल्ली: इंटरनेट पर बिटक्वायन मुद्रा के तेजी से बढ़ते चलन को लेकर नियामक चिंतित हैं और उन्हें डिजिटल मुद्रा से जुड़ी मनी लांड्रिंग गतिविधियों व फर्जीवाड़ा करने वालों द्वारा भोले.भाले निवेशकों को ‘ई.पोंजी’ स्कीमों की ओर लुभाने के लिए इसका दुरपयोग करने की चिंता सता रही है. नियामकों के समक्ष डिजिटल मुद्रा को लेकर यह चुनौती है कि अमेरिका, चीन एवं कुछ अन्य देशों में कुछ आनलाइन रिटेलर पहले ही इस मुद्रा को स्वीकार कर रहे हैं.

डिजिटल मुद्रा को अस्तित्व में आए मुश्किल से तीन साल ही हुए हैं, लेकिन यह दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा बन गई है और इसका प्रति इकाई मूल्य 1,000 डालर या करीब 63,000 पये से अधिक है.

इससे भारत में नियामकों के समक्ष ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि इसका नियमन किया जाये या नहीं, इसका नियमन किसे करना चाहिए और इसके क्या नियम होने चाहिये कैसे इसका नियमन किया जाये आदि.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय के तहत आरबीआई, सेबी और विभिन्न एजेंसियों पर इस नई अवधारणा से निपटने की जिम्मेदारी है.

संपर्क किए जाने पर रिजर्व बैंक की एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘फिलहाल, हम बिटक्वायन का नियमन नहीं करते, लेकिन घटनाक्रमों पर हमारी नजर है.’’यद्यपि नियामक अपनी कार्ययोजना को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में अमेरिकी रख को अपनाया जा सकता है जहां अधिकारियों ने बिटक्वायन को मनी लांड्रिंग नियमों से जोड़ने का निर्णय किया है.

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