10 लाख से ज्यादा कमाई पर LPG सब्सिडी नहीं

नयी दिल्ली : दस लाख रुपये से अधिक की सालाना आय वाले करदाताओं को अगले महीने से सब्सिडी वाला रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) नहीं मिलेगा. सरकार ने आज सब्सिडी में कमी के लिए कम मूल्य के सिलेंडरों की आपूर्ति सीमित करने का फैसला किया है. फिलहाल सभी परिवारों को एक साल में 14.2 किलोग्राम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2015 5:38 PM

नयी दिल्ली : दस लाख रुपये से अधिक की सालाना आय वाले करदाताओं को अगले महीने से सब्सिडी वाला रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) नहीं मिलेगा. सरकार ने आज सब्सिडी में कमी के लिए कम मूल्य के सिलेंडरों की आपूर्ति सीमित करने का फैसला किया है.

फिलहाल सभी परिवारों को एक साल में 14.2 किलोग्राम के 12 रसोई गैस सिलेंडर 419.26 रुपये प्रति के मूल्य पर मिलता है. इसका बाजार मूल्य 608 रुपये है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने बयान में कहा कि सरकार ने संपन्न लोगों से स्वैच्छिक रुप से सब्सिडी वाली एलपीजी छोड़ने तथा बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदने को कहा था. अभी तक 15 करोड एलपीजी उपभोक्ताओं में से 57.5 लाख ने सब्सिडी वाला सिलेंडर छोड़ा है.

बयान में कहा गया है कि जहां कई उपभोक्ताओं ने स्वैच्छिक रुप से सब्सिडी छोड़ी है, वहीं यह जरुरत महसूस की जा रही है कि उच्च आय वर्ग के लोगों को एलपीजी सिलेंडर बाजार कीमत पर मिलना चाहिए. सरकार ने कहा है कि यदि उपभोक्ता या उसके पति या पत्नी की सालाना कर योग्य आय पिछले वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक रही है तो उनको एलपीजी सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. इस आय की गणना आयकर कानून, 1961 के तहत की जाएगी.

हालांकि, शुरुआत में इस योजना को जनवरी में सिलेंडर की बुकिंग कराते समय स्वघोषणा के आधार पर लागू किया जाएगा. सब्सिडी बिल में कटौती तथा राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने सितंबर, 2012 में प्रत्येक परिवार के लिए सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या सालाना छह कर दी थी. बाद में जनवरी में इसे संशोधित कर नौ किया गया. जनवरी, 2014 में इसे एक अप्रैल से सालाना 12 सिलेंडर किया गया.

सालाना 12 सिलेंडरों की सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में डाली जाती है, जिसके जरिये वे बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदते हैं. वित्त वर्ष 2014-15 में एलपीजी के लिए 40,551 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान किया गया. इस वित्त वर्ष में यह आधी से भी कम रहेगी क्‍योंकि तेल कीमतें छह साल के निचले स्तर पर आ गई हैं.

अप्रैल-सितंबर के दौरान सब्सिडी खर्च 8,814 करोड़ रुपये रहा है. इस बारे में कोई अनुमान नहीं है कि कितने एलपीजी उपभोक्ताओं की सालाना कर योग्य आय 10 लाख रुपये या अधिक है. फिलहाल देश में 16.35 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं. एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटीएल) योजना शुरू होने के बाद यह आंकडा घटकर 14.78 करोड़ रह गया है क्‍योंकि इससे डुप्लिकेट और निष्क्रिय उपभोक्ता बाहर हो गए हैं.

बयान में कहा गया है कि इस योजना का मकसद यह है कि सब्सिडी लाभ लक्षित समूह तक पहुंचे. सरकार ने संपन्न लोगों से स्वैच्छिक रुप से सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया था. प्रधानमंत्री के इस आह्वान के बाद 57.50 लाख लोगों ने एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है.

सरकार के ‘गिव इट अप’ अभियान से बचने वाली सब्सिडी का इस्तेमाल ‘गिव बैक’ अभियान के जरिये गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों को नए कनेक्शन देने के लिए किया जा रहा है. इससे गरीब परिवारों को परंपरागत ईंधन मसलन मिट्टी का तेल, कोयला, ईंधन लकड़ी या गोबर आदि के बजाय एक साफ ईंधन एलपीजी के रुप में उपलब्ध कराया जा रहा है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version