नयी दिल्ली : मौजूदा वर्ष 2015 के दौरान उठाये गये सुधारात्मक कदमों के मद्देनजर सरकार को नये साल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 40-45 प्रतिशत बढोतरी की उम्मीद है जबकि विदेशी पूंजी आकर्षित के लिए और भी पहलें की जा सकती हैं. साल 2015 के लिए उपलब्ध ताजा आंकडों के मुताबिक जनवरी-सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 18 प्रतिशत बढकर 26.51 अरब डालर हो गया. भारत में 2014 के दौरान 28.78 अरब डालर का निवेश हुआ था जबकि 2013 में यह 22 अरब डालर था. औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव अमिताभ कांत ने कहा, ‘वैश्विक नरमी के बावजूद 2016 में एफडीआई में 40-45 प्रतिशत की बढोतरी होगी. सरकार ने इस साल कई तरह की नीतिगत पहलें की हैं.’
इस साल जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक एफडीआई आया उनमें सर्विसेज, कंप्यूटर हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर, दूरसंचार, ऑटोमोबाइल और व्यापार शामिल है. एफडीआई ढांचे को सुव्यवस्थित करने इस साल सरकार ने विदेशी निवेश के सभी स्वरुपों को जोडकर मिश्रित विदेशी निवेश की सीमा तय की है ताकि खंडवार सीमा परिभाषित की जा सके. इसके अलावा जिन कंपनियों के भारत में विनिर्माण संयंत्र हैं उनके लिए ई-वाणिज्य मानदंडों को भी उदार बनाया है. अमिताभ कांत ने कहा कि कारोबार सुगमता सुधारने की पहलों की घोषणा से भारत को निवेशकों के लिए सबसे अधिक सुगम स्थान बनाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि सरकार विदेशी निवेश के लिए खुले 98 प्रतिशत क्षेत्रों को स्वत: निवेश मार्ग के तहत लाने की योजना बना रही है ताकि कारोबारियों को किसी मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय या उद्योग भवन न जाना पडे. कारोबार सुगमता के लिहाज से विश्व बैंक की रपट में भारत की रैकिंग इस साल 189 देशों में 142 से सुधरकर 130 पर आ गयी. प्रधानमंत्री ने देश की रैंकिंग शीर्ष 50 में लाने का लक्ष्य रखा है. पहली बार कारोबार सुगम बनाने के लिए राज्यों को भी रैंकिंग प्रदान की गयी है.
कारोबार सुगमता बढाने के लिए सुधार लाने के लिहाज से भारतीय राज्यों की विश्व बैंक द्वारा तैयार रैंकिंग में गुजरात शीर्ष पर है. देश के लिए एफडीआई महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे 12वीं पंचवर्षीय योजनावधि 2012-12 से 2016-17 के बीच बंदरगाह, हवाईअड्डा और राजमार्ग जैसे बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए वित्तपोषण के लिए करीब 1,000 अरब डालर की जरुरत है. विश्लेषकों ने कहा कि 2016 में एफडीआई प्रवाह में उल्लेखनीय बढोतरी की उम्मीद है लेकिन काफी कुछ ‘मेक इन इंडिया’ पर निर्भर करेगा.
कानूनी सेवा प्रदान करने वाली कंपनी शार्दूल अमरचंद एंड मंगलदास के कृष्ण मल्होत्रा ने कहा, ‘अगले साल एफडीआई बढना चाहिए लेकिन कारोबर सुगमतान बढाने की पहलों और सुधार संबंधी पहलों के लिहाज से काफी कुछ ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पर निर्भर करेगा.’ सुधार संबंधी पहलों के अंग के तौर पर सरकार ने विदेशी निवेश सीमा बढायी है, कुछ नये क्षेत्रों को खोला है और कई खंड के नियमों में उदारता लायी है. सरकार ने स्थानीय निजी बैंकों में 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी दी है जबकि पाम, कॉफी और रबर क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए पहली बार खोला है. रीयल एस्टेट, रक्षा, नागर विमानन और समाचार प्रसारण क्षेत्रों में भी एफडीआई मानदंडों को उदार बनाया गया है.
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