नयी दिल्ली : रीयल इस्टेट बाजार को मंदी का लंबा दौर खत्म होने का बेसब्री से इंतजार है और उसे इस लिहाज से नये साल से बडी उम्मीदें हैं क्योंकि पर्याप्त आपूर्ति व कीमतों में गिरावट के बावजूद इस क्षेत्र में मंदी इस बीते साल भी बनी रही. रीयल्टी क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने संबंधी एक नया कानून भी आने वाला है. जानकारों का कहना है कि कीमतों में 15-20 प्रतिशत की कमी और ब्याज दरों में कई बार कटौती के बावजूद इस साल मकानों की बिक्री में स्थिरता रही. बाजार में अनबिके मकानों की भारी संख्या है.
प्रोपर्टी डेवल्पर तथा परामर्शकों को उम्मीद है कि नया रीयल इस्टेट कानून 2016 में उम्मीदों की नयी रोशनी लेकर आएगा और इस क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करेगा. प्रस्तावित कानून को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी. इसे अब मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा. इस कानून से ग्राहकों का भरोसा बहाल हो सकता है जो कि मकान सौंपने में पांच पांच साल तक की देरी के कारण निराश हो चुके हैं और इसके खिलाफ सडकों पर प्रदर्शन से लेकर अदालतों के दरवाजा तक खटखटा चुके हैं.
प्रोपर्टी परामर्शक फर्म जेएलएल के अनुसार सात प्रमुख शहरों के प्राथमिक बाजारों में मकानों की बिक्री पिछले साल 1.75 लाख इकाई रही थी. इसके 2015 में भी उसी स्तर पर रहने का अनुमान है. इस साल के पहले नौ महीने में हालांकि यह थोडी घटकर 1.16 लाख इकाई रही. परामर्शक कंपनी नाइट फ्रेंक इंडिया के अनुसार इस साल नये मकानों की पेशकश में बहुत गिरावट आयी और आठ बड़े शहरों में अब भी छह लाख से अधिक मकान अनबिके पड़े हैं. डेवल्परों ने इस साल ग्राहकों को रिझाने के तमाम प्रयास किये जिनमें भुगतान के विभिन्न विकल्पों, छूट, उपहार व आसान भुगतान की सुविधा जैसी पेशकशें शामिल हैं.
लेकिन संभावित ग्राहकों ने कीमतों में और नरमी की उम्मीद में अभी देखो और इंतजार करो की नीति अपनाए रखी. हालांकि रीयल्टी कंपनियों को 2016 में हालात में बदलाव की उम्मीद है. उन्हें इस लिहाज से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में 125 आधार अंक की कटौती और सरकार द्वारा एफडीआई नियमों में ढील के साथ साथ सभी के लिए आवास तथा स्मार्ट शहर योजना से बड़ी उम्मीद है. रीयल्टी कंपनियों के संगठन क्रेडाई के अध्यक्ष गीतांबर आनंद ने कहा, ‘इस साल की शुरुआत बहुत खराब रही. हालांकि आवास बिक्री के लिहाज से साल का अंत काफी बेहतर रहा. कुल मिलाकर बिक्री 2014 जैसी ही रही.’
उन्होंने कहा कि मकानों की कीमतों में बीते 18 महीने में औसतन 15-20 प्रतिशत की कमी आयी है. भावी परिदृश्य के बारे में आनंद ने कहा, ‘बिक्री में लगातार स्थिर वृद्धि होगी. हम बहुत अच्छे या मजबूत 2016 की उम्मीद कर सकते हैं.’ डीएलएफ के सीईओ राजीव तलवार ने कहा, ‘बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के बीच हमें पहले ही ग्राहक बाजार में लौटते नजर आ रहे है. इन कदमों के सारे प्रभाव सामने आने के बीच उम्मीद है कि 2016 में ग्राहक जमीन जायदाद बाजार में लौटेंगे.’
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