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बाजार की 2016 के लिए चाहत: जीएसटी परित हो, नीतिगत दर कम हो

नयी दिल्ली : शेयर बाजार की नये साल में चाहत है कि लंबे समय से संसद में लंबित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित हो, ब्याज दरें घटें और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पुरानी स्थिति में लौटे, रुपये स्थिर हो और मानसून अच्छा रहे ताकि उसे 30,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को लांघन में मदद […]

नयी दिल्ली : शेयर बाजार की नये साल में चाहत है कि लंबे समय से संसद में लंबित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित हो, ब्याज दरें घटें और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पुरानी स्थिति में लौटे, रुपये स्थिर हो और मानसून अच्छा रहे ताकि उसे 30,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को लांघन में मदद मिले. शेयर बाजार में 2015 के दौरान उतार-चढाव का दौर रहा जबकि सेंसेक्स को 1,381.88 अंक या पांच प्रतिशत का नुकसान हुआ जबकि 2014 में सूचकांक में करीब 30 प्रतिशत की तेजी दर्ज हुई थी. सूचकांक में इससे पहले सालाना स्तर पर 2011 के दौरान गिरावट दर्ज हुई थी जबकि यह 24 प्रतिशत टूटा था.

सूचकांक ने मार्च में 30,000 से उपर के स्तर को छुआ था जिसे यह बरकरार नहीं रख पाया और इस स्तर से काफी टूटा. नये साल में बाजार की चाहत का जिक्र करते हुए बोनांजा पोर्टफोलियो के सहायक कोष प्रबंधक हिरेन ढाकन ने कहा, ‘संसद में जीएसटी विधेयक पारित हो, आरबीआई नीतिगत दरों में और कटौती करे, रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले स्थिर हो, चीन के युआन का और अवमूल्यन न हो, मानसून सामान्य हो, सरकार नये नीतिगत पहलें करे ताकि विदेशी निवेश आये और कच्चे तेल की कीमत स्थिर रहे.’

अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को आसान बनाने और एकल समान दर के साथ इसे देश भर में तर्कसंगत बनाने से जुडा जीएसटी विधेयक लंबे समय से राजनीतिक गतिरोध के हवाले है. जियोजित बीएनपी परिबा फिनांशल सर्विसेज के विनोद नायर ने कहा, ‘नये साल में सरकार के लिए जीएसटी विधेयक पारित कराना प्राथमिकता होगी. सरकार द्वारा बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर व्यय और कारोबार सुगमता पर भी नजर रहेगी. मुद्रास्फीति दो-तीन प्रतिशत रहे जिससे आरबीआई 2016 में नीतिगत दरों में और कटौती कर सके.’

नायर ने कहा, ‘जहां तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश का सवाल है वैश्विक स्तर पर नकदी बाजारों में सबसे अच्छे अवसर की तलाश में है और भारत उभरते बाजारों में बेहतरीन अर्थव्यवस्थओं में से है जहां मूल्यांकन उचित स्तर पर है.’ पिछले साल 24 अगस्त को एक दिन की सबसे तेज गिरावट दर्ज हुई जबकि यह चीन के संकट के मद्देनजर 1,624.51 अंक या 5.94 प्रतिशत टूटा.

हेम सीक्योरिटीज के निदेशक, गौरव जैन ने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर जैसे विधेयक का पारित होना, कंपनियों द्वारा पूंजी व्यय बढाना, विदेशी निवेश प्रवाह में बढोतरी, अच्छा मानसून, बेहतर वृहत-आर्थिक स्थिति, खपत-मांग में सुधार, डालर के मुकाबले रुपये में तेजी की उम्मीद रहेगी.’ विश्लेषकों ने कहा कि नये साल में जीएसटी पारित होना और आम बजट भारतीय बाजारों के लिए प्रमुख प्रेरक कारक होगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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