म्यूचुअल फंडों का शेयरों में 11 अरब डालर का निवेश
नयी दिल्ली : कम मूल्यांकन का फायदा उठाते हुए घरेलू म्यूचुअल फंड कंपनियों ने 2015 के दौरान शेयर बाजार में 11 अरब डालर का जोरदार निवेश किया और नए साल में इसे बरकरार रखने की योजना बनाई है ताकि अपने निवेशकों को दिया जाने वाला फायदा बढाया जा सके. रीयल एस्टेट बाजार में नरमी और […]
नयी दिल्ली : कम मूल्यांकन का फायदा उठाते हुए घरेलू म्यूचुअल फंड कंपनियों ने 2015 के दौरान शेयर बाजार में 11 अरब डालर का जोरदार निवेश किया और नए साल में इसे बरकरार रखने की योजना बनाई है ताकि अपने निवेशकों को दिया जाने वाला फायदा बढाया जा सके. रीयल एस्टेट बाजार में नरमी और सोने के मूल्य में गिरावट बरकरार रहने के मद्देनजर म्यूचुअल फंड उद्योग को इस साल से भारतीय परिवारों की बचत का बडा हिस्सा हासिल करने की भी उम्मीद है.
ताजा आंकडों के मुताबिक म्यूचुअल फंड ने 2015 में घरेलू इक्विटी बाजारों में लगभग 11 अरब डालर का निवेश किया जो पिछले साल हुए चार अरब डालर के निवेश के मुकाबले ढाई गुना है. खुदरा धन, म्यूचुअल फंड के मागर्स से इक्विटी में आया जिससे ऐसे समय में सूचकांकों को मदद मिली जबकि विदेशी पोर्टफोलियो :एफपीआई: बिकवाली के दौर में थे. एफपीआई 2015 में शुद्ध लिवाल रहे हालांकि सिर्फ 3.2 अरब डालर का निवेश किया। इससे पहले उन्होंने पिछले तीन साल शेयर बाजारों में 20-20 अरब डालर का निवेश किया था.
क्वांटम एएमसी के मुख्य कार्यकारी जिमी पटेल ने कहा, ‘‘हम 2015 जैसे परिदृश्य की उम्मीद करते जिसमें एफपीआई ने तीन अरब डालर का निवेश जबकि घरेलू म्यूचुअल फंड कंपनियों ने जोरदार निवेश किया। इसका अर्थ है कि एफपीआई महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन घरेलू प्रवाह लंबे समय तक बरकरार रहेगा जिससे वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. एसबीआई म्यूचुअल फंड के कोष प्रबंधक इक्विटी जयेश श्रॉफ ने कहा कि जिंस मूल्यों में गिरावट, रीयल एस्टेट बाजार में नरमी और पिछले स्तर पर बरकरार बांड बाजार के परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए इक्विटी के लिहाज से 2016 उत्साहजनक दिखता है.
मौजूदा साल में निवेश प्रवाह पिछले स्तर पर नहीं रहेगा लेकिन प्रवाह सकारात्मक रहेगा. इधर एलआईसी नोमुरा म्यूचुअल फंड की प्रमुख निवेश अधिकारी इक्विटी एवं बांड सर्वण कुमार ने कहा कि यदि 2016 पिछले साल की तरह उतार-चढ़ाव भरा रहता है तो प्रवाह के लिहाज से पिछली गति बरकरार रहना चुनौती बन सकता है. म्युचुअल फंड में खुदरा निवेशकों की रचि बढी जिससे संकेत मिलता है कि वे भौतिक परिसंपत्ति के बजाय वित्तीय परिसंपत्ति को तरजीह दे रहे हैं.
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