सुप्रीम कोर्ट ने मैगी के नमूनों पर मैसूर प्रयोगशाला से जवाब मांगा

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मैसूर स्थित सरकारी प्रयोगशाला से आज इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि क्या मैगी नूडल्स में सीसा और ग्लूटामिक एसिड से संबंधित परीक्षण रिपोर्ट कानून के अंतर्गत अनुमत मानकों के दायरे में हैं. शीर्ष अदालत ने मैसूर प्रयोगशाला से मिले दो पत्रों का अध्ययन करने के बाद आदेश जारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2016 12:32 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मैसूर स्थित सरकारी प्रयोगशाला से आज इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा कि क्या मैगी नूडल्स में सीसा और ग्लूटामिक एसिड से संबंधित परीक्षण रिपोर्ट कानून के अंतर्गत अनुमत मानकों के दायरे में हैं. शीर्ष अदालत ने मैसूर प्रयोगशाला से मिले दो पत्रों का अध्ययन करने के बाद आदेश जारी किया. प्रयोगशाला ने मैगी के नमूनों में मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) तत्व के बारे में परीक्षण किया था. मैगी निर्माता नेस्ले इंडिया ने हालांकि दावा किया कि सीसा तत्व खाद्य सुरक्षा कानून के तहत नियत अनुमत सीमा के दायरे में था.

केंद्र ने कहा कि सभी अन्य मानकों के समग्र परिणामों की आवश्यकता है. यह स्पष्ट करते हुए कि कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा रहा है, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि स्पष्टीकरण की जरुरत है. पीठ में न्यायमूर्ति एनवी रमन भी हैं. पीठ ने कहा, ‘हमने परीक्षण रिपोटो’ का अध्ययन किया है. हम चाहेंगे कि केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान, मैसूर इस अदालत को दो पहलुओं के बारे में जानकारी दे, कि क्या सीसा और ग्लूटामिक एसिड से संबंधित परीक्षण रिपोर्ट अनुमत मानकों के अंतर्गत है और स्पष्ट किया जाये कि क्या वे खाद्य सुरक्षा कानून के तहत नियत मानकों के दायरे में हैं.’

पीठ ने आगे कहा कि मैसूर स्थित संस्थान ग्लूटामिक एसिड से संबंधित परीक्षण रिपोर्ट पर भी स्पष्टीकरण देगा. पीठ ने कहा कि यदि संस्थान महसूस करता है कि अतिरिक्त नमूनों की आवश्यकता है, तो इसके द्वारा संबंधित प्राधिकार से इसके लिए मांग की जा सकती है. इसने कहा कि अतिरिक्त नमूनों के लिए अदालत संयुक्त रजिस्ट्रार, राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से संपर्क कर सकती है जिन्हें स्थानीय आयुक्त नियुक्त किया गया था.

वह लखनऊ स्थित एफएसएसएआई गोदाम से नमूने एकत्र करेंगे. अदालत ने मामले को पांच अप्रैल तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि समूची प्रक्रिया आठ सप्ताह के भीतर की जानी चाहिए. एनसीडीआरसी के इस निर्देश के बाद कि परीक्षण चेन्नई में किया जाए, अदालत ने पिछले साल 16 दिसंबर को मैगी नूडल्स के नमूनों का परीक्षण मैसूर प्रयोगशाला में कराने का आदेश दिया था. उच्चतम न्यायालय शीर्ष उपभोक्ता आयोग के फैसले के खिलाफ नेस्ले इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

कंपनी की कथित अनुचित व्यापार कार्यप्रणाली के खिलाफ सरकार के 640 करोड रुपये के वाद के संबंध में उपभोक्ता आयोग ने पिछले साल 10 दिसंबर को मैगी नूडल्स के 16 और नमूनों को जांच के लिए चेन्नई स्थित प्रयोगशाला भेजा था जिससे कि उनमें सीसा और एमएसजी की मात्रा का पता लगाया जा सके. इस बीच, शीर्ष अदालत ने एनसीडीआरसी के समक्ष चल रही प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और परीक्षण रिपोटो’ को अपने समक्ष रखने का निर्देश दिया था. बम्बई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 13 अगस्त को फास्ट फूड के नौ प्रकारों से प्रतिबंध हटा लिया था और कंपनी से नये सिरे से परीक्षण कराने को कहा था.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version