नयी दिल्ली : थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में भी शून्य से नीचे बनी रही पर माह के दौरान मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों और सब्जियों की कीमतें बढने से यह उछल कर शून्य से 0.73 प्रतिशत से नीचे रह गयी जो एक माह पहले की तुलना में 1.26 प्रतिशत का उछाल दिखाता है. थोकमूल्य सचूकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति चार महीनों से बढ रही है. गत नवंबर में शून्य से 1.99 प्रतिशत नीचे थी और दिसंबर 2014 में यह शून्य से 0.50 प्रतिशत नीचे थी. यह लगातार 14वां महीना है जबकि थोक मूल्य वाली मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है. खाद्य उत्पाद वर्ग में थोक मुद्रास्फीति दिसंबर में 8.17 प्रतिशत रही.
एक माह पहले यह 5.20 प्रतिशत थी. दाल-दलहनों की महंगाई दर सालाना आधार पर दिसंबर में 55.64 प्रतिशत, प्याज की महंगाई 25.98 प्रतिशत और सब्जियों की मंहगाई दर 20.56 प्रतिशत रही. फलों के दाम पिछले साल से 0.76 प्रतिशत मंहगे रहे. दिसंबर 2015 में आलू की कीमतें पिछले साल इसी माह से 34.99 प्रतिशत नीचे रही जबकि अंडा, मांस और मछली की महंगाई 5.03 प्रतिशत रही.
ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में शून्य से 9.15 प्रतिशत नीचे जबकि विनिर्मित उत्पादों के वर्ग में यह शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही. इस बीच सरकार ने अक्तूबर की थोक मूल्य मुद्रास्फीति के आंकडे को संशोधित कर शून्य से 3.70 प्रतिशत नीचे कर दिया है जो अस्थाई अनुमानों के आधार पर शून्य से 3.81 प्रतिशत नीचे बतायी गयी थी. रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दर में कटौती का दबाव है क्यों कि क्योंकि औद्योगिक उत्पाद नवंबर में 3.2 प्रतिशत संकुचित हुआ जो पिछले चार साल में सबसे तेज गिरावट है.
मुद्रास्फीति का बदाव बढने से रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दर घटाना आसान नहीं होगा. गवर्नर रघुराम राजन ने कल कहा था केंद्रीय बैंक औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकडों पर सावधानी से विचार करेगा और तार्किक फैसला करेगा. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के अलावा केंद्रीय बैंक खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर भी विचार करेगा. खुदरा मुद्रास्फीति पिछले पांच महीनों से बढ रही है और दिसंबर में यह 5.61 प्रतिशत पर पहुंच गयी. आरबीआई की अगली द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा दो फरवरी को पेश की जाएगी.
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