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आधार पहचान पत्र से भारत सरकार को सालाना एक अरब डालर की बचत

वाशिंगटन : भारत के आधार डिजिटल पहचान पत्र की प्रशंसा करते हुए विश्व बैंक ने कहा है कि इस पहल से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के मद्देनजर भारत सरकार को करीब एक अरब डालर की बचत हो रही है. साथ ही बहुपक्षीय संस्था ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकियां समावेश, दक्षता और नवोन्मेष को बढावा दे सकती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2016 5:46 PM

वाशिंगटन : भारत के आधार डिजिटल पहचान पत्र की प्रशंसा करते हुए विश्व बैंक ने कहा है कि इस पहल से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के मद्देनजर भारत सरकार को करीब एक अरब डालर की बचत हो रही है. साथ ही बहुपक्षीय संस्था ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकियां समावेश, दक्षता और नवोन्मेष को बढावा दे सकती हैं.

विश्वबैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने डिजिटल लाभ पर रपट जारी करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि आधार डिजिटल पहचान पत्र से भ्रष्टाचार कम होने के कारण भारत सरकार के लिए सालाना करीब एक अरब डालर (650 करोड रुपए) की बचत हुई. यह राजकोषीय बजटिंग के लिए मददगार है. अन्य उपयोगी सेवाएं प्रदान करने में यह मददगार है.’
उन्होंने यहां विश्वबैंक के मुख्यालय में कहा, ‘‘भारत की आधार डिजिटल पहचान प्रणाली के दायरे में करीब एक अरब लोग आ चुके हैं जिससे गरीबों तक सेवाओं की पहुंच आसान हो गई है और सरकार के लिए कल्याणकारी सेवाओं की आपूर्ति आसान हो गई है.’ विश्वबैंक ने कल कहा कि भारत अपनी संपूर्ण 1.25 अरब की आबादी को आधार डिजिटल पहचान पत्र प्रदान करने की प्रक्रिया में है. बैंक ने कहा कि इससे सरकार को अपनी कल्याणकारी योजनाओं में वंचितों शामिल करने में मदद मिलेगी.
विश्वबैंक ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी क्रांतिकारी हो सकती है. भारत के आधार जैसी पहचान प्रणाली से सरकार को वंचित वर्गों के समावेश को बढावा देने में मदद मिलेगी.’ विश्वबैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा, ‘‘डिजिटल प्रौद्योगिकियां विश्व के कारोबार, काम और सरकार में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं.’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें हर किसी से जुडना बरकरार रखना चाहिए ताकि कोई भी छूट न जाए क्योंकि मौके खोने का नुकसान बहुत अधिक है. डिजिटल फायदा समाज के हर हिस्से तक पहुंचना चाहिए. देशों को अपना कारोबारी माहौल, लोगों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य में निवेश और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहन को बढावा देने की जरुरत है.’ बसु ने कहा कि यह आश्चर्यजनक बदलाव है कि आज 40 प्रतिशत आबादी इंटरनेट से जुडी है.
उन्होंने कहा, ‘‘इन उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ इस बारे में भी सतर्क रहना चाहिए कि हम एक नया वंचित वर्ग न तैयार करें। विश्व की 20 प्रतिशत आबादी अब पढ-लिख नहीं सकती इसलिए सिर्फ डिजिटल प्रौद्योगिकियों के प्रसार से ही वैश्विक ज्ञान विभाजन खत्म हो पाना संभव नहीं है.’

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