वाशिंगटन : विश्वबैंक नये रेल विकास कोष में एंकर निवेश होगा जिसके उपयोग भारतीय रेल के कोष आधुनिकीकरण के वित्तपोषणा के लिए किया जाएगा. प्रभु ने कल विश्वबैंक अधिकारियों ने अपनी बैठक के बाद कहा, ‘हमने रेल विकास कोष बनाने के लिए विश्वबैंक के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है. लेकिन अब हमने इस प्रक्रिया को आगे बढाया है.’ प्रभु ने कहा कि विश्वबैंक अन्य सह-निवेशकों के साथ इस नये कोष का एंकर निवेशक होगा.
उन्होंने कहा, ‘इस कोष को जल्दी ही पेश करेंगे क्योंकि विश्वबैंक के नेतृत्व में सर्वसम्मति है.’ उन्होंने यह भी कहा कि विश्वबैंक के नेतृत्व ने पिछले एक साल के प्रदर्शन के आधार पर महसूस किया कि भारतीय रेल सही दिशा में है. प्रभु ने हालांकि कोष के आकार का ब्योरा नहीं दिया लेकिन संकेत दिया कि वह भारतीय रेल को विश्वबैंक की ओर से प्रदत्त सबसे बड़ा कोष है.
प्रभु यहां परिवहन पर विश्वबैंक द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लेने आये हैं. अमेरिका की राजधानी में अपने प्रवास के दौरान वह अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के अधिकारियों, अमेरिकी परिवहन मंत्री एंथनी रेनार्ड फॉक्स और कुछ अन्य से मिले. आईएफसी गैर रेल परिचालन के जरिए राजस्व सृजन की संभावना पर विचार करेगा.
प्रभु ने कहा, ‘मौद्रीकरण की समस्या से निपटने के लिए विश्व की बेहतरीन प्रणाली मुहैया की जा रही है. वैश्विक स्तर पर रेलवे को 30-40 प्रतिशत आय गैर-रेलवे परिचालनों से होती है. भारत में यह दो प्रतिशत भी नहीं है. इस बीच सातवें वेतन आयोग का अतिरिक्त बोझ भारतीय रेल के लिए चुनौतीपूर्ण होगा.’ अमेरिका के परिवहन मंत्री के साथ बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने परिवहन क्षेत्र के संबंध में परिवहन विभाग के साथ एक समझौता करने का फैसला किया.
प्रभु ने कहा, ‘आज हम परिवहन विभाग के साथ विशिष्ट समझौते पर भी सहमत हुए जिससे कई चीजों पर कम करने में मदद मिलेगी.’ प्रभु ने यह भी कहा, ‘हमने जिन कुछ चीजों पर सहमति जतायी है उनमें एक है सुरक्षा के लिए नियामकीय ढांचा तैयार करना जो भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है. हम भारतीय रेल की सुरक्षा बढाना चाहते हैं.’ निवेशकों और बुनियादी ढांचा कंपनियों के एक समूह के साथ बातचीत के दौरान प्रभु ने उनसे भारतीय रेल में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया.
उन्होंने कहा, ‘रेल मंत्रालय ने कई कदम उठाये है और मौके तथा सुधार की पहलें पेश की है जिससे निवेशकों को वृद्धि में मदद मिलेगी.’ प्रभु ने कहा, ‘2015 में पिछले रेल बजट से रेल मंत्रालय ने सुधार की 110 पहलों पर अमल किया है. बजट में की गयी घोषणाएं पूरी की गयीं. हम अमेरिकी कंपनियों को माहौल में हो रहे परिवर्तन का फायदा उठाने के लिए उत्साहित करना चाहते हैं.’
रेल मंत्री ने कहा, ‘उपनगरीय रेल, मेट्रो रेल, लोकोमोटिव एवं रोलिंग स्टॉक, विनिर्माण तथा मरम्मत, सिग्नल प्रणाली एवं बिजली के काम और प्रतिबद्ध माल ढुलाई लाईनों जैसे रेलवे बुनियादी ढांचे के ज्यादातर खंडों में 100 प्रतिशत निवेश की मंजूरी के साथ रेल मंत्रालय ने इस क्षेत्र में 142 अरब डालर के निवेश की योजना बनायी जिससे सिर्फ भारतीय परिवहन क्षेत्र में और दक्षता आएगी बल्कि विनिर्माण को बढावा भी मिलेगा और मेक इन इंडिया के निर्देशों का भी अनुपालन होगा.’
इस बीच यूएसआईबीसी के अध्यक्ष मुकेश अघी ने प्रभु की भारतीय रेल के बुनियादी ढांचे में आमूल परिवर्तन की कोशिश की प्रशंसा की. अघी ने कहा, ‘दो साल से कम समय में भारत के रेल मंत्री ने भारतीय रेल में सुधार और भारतीयों के यात्रा के अनुभव, उत्पादों एवं सेवा के परिवहन और करोबार करने के तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए गंभीर प्रयास किए हैं.’ उन्होंने कहा कि यूएसआईबीसी के सदस्य इन मौकों के प्रति उत्साहित हैं.
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