…आखिर पीयूष गोयल क्यों हो सकते हैं वित्त मंत्री?

पवन कुमार पांडेय इन दिनों नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा है. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली की जगह पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का जिम्मेवारी दी जा सकती है. वर्तमान में ऊर्जा व कोयला मंत्रालय संभाल रहे पीयूष गोयल के नाम कई उपल्बधियां दर्ज हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2016 6:14 PM

पवन कुमार पांडेय

इन दिनों नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा है. मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली की जगह पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का जिम्मेवारी दी जा सकती है. वर्तमान में ऊर्जा व कोयला मंत्रालय संभाल रहे पीयूष गोयल के नाम कई उपल्बधियां दर्ज हैं. उनकी इस कामयाबी को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री उनके काम से खुश हैं. आखिर पीयूष गोयल में क्या खास है जो वे जेटली जैसे दिग्गज नेता के विकल्प साबित हो सकते हैं.

मुंबई में जन्मे पीयूष गोयल पेशे से इन्वेस्टमेंट बैंकर रहे हैं. देश भर में सीए की परीक्षा में दूसरा रैंक हासिल करने वाले गोयल ने वकालती की पढ़ाई भी की है. पीयूष गोयल के पिता वेद प्रकाश गोयल भाजपा के कोषाध्यक्ष थे. अटल जी की सरकार में इनके पिता जहाजरानी मंत्रालय भी संभाल चुके हैं.2014 में नरेन्द्र मोदी ने पहली बार सत्ता संभाला तो सबसे चुनौती पूर्ण कार्य देश के कोयला खदानों का आवंटन करना था. पहले से ही कोल स्कैम से जूझ चुके इस मंत्रालय के काम पूरी तरह से ठप पड़ चुके थे.
1.8 लाख करोड़ रुपये की स्कैम से जूझ रहा कोयला मंत्रालय काफी बुरी हालात में था. कोयले की कमी से उद्योग जगत के साथ- साथ देश का बिजली सेक्टर भी प्रभावित हो रहा था. मंत्रालय पर कोल ब्लॉक का आवंटन करने का दवाब था. पीयूष गोयल के नेतृत्व में न सिर्फ कोल ऑक्सन हुआ बल्कि बिजली का उत्पादन भी 22,544 Mw बढ़ गया. कोयले के बाद सरकार के सामने अगली चुनौती बिजली को लेकर थी. देश की ज्यादातर बिजली वितरण कंपनियां भारी घाटे में चल रही थी.
बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए "उदय योजना" लायी गयी. बिजली वितरण कंपनियां 3 लाख करोड़ घाटे से जूझ रही हैं. पीयूष गोयल का अनुमान है कि उदय योजना से 1.8 लाख करोड़ की बचत होगी. यही नहीं बिजली के फिजूल खर्ची को रोकने के लिए मंत्रालय ने एलइडी बल्ब काबड़े पैमाने परबेहदही किफायती दर पर वितरण किया.
ऊर्जा मंत्रालयकीकई मह्त्वाकांक्षी योजना है, जिसमें देश भर के हरेक गांवों में 24 घंटे बिजली पहुंचाने का लक्ष्य भी शामिल है. अंदरखाने से आ रही खबरों के मुताबिक जेटली देश में टैक्स सुधार करने में कुछ खास काम नहीं कर पाये हैं. इसके साथ ही सरकार के पास नयी नौकरियां पैदा करने का दबावहै. ऐसे में उर्जा व कोयला मंत्रालय को संभाल चुके पीयूष गोयल वित्त मंत्री के रूप में स्वभाविक विकल्प साबित हो सकते हैं.

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