नयी दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में उत्खनन से लेकर रणनीतिक भंडारण तक पूरी आपूर्ति श्रृंखला में अफ्रीकी देशों के साथ भागीदार बन सकता है. यहां भारत-अफ्रीका हाइड्रोकार्बन सम्मेलन में सुषमा ने कहा, ‘‘भारत उत्खनन, उत्पादन, रिफाइनिंग, वितरण, बुनियादी ढांचा तथा रणनीतिक भंडार से लेकर पूरी आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने में भारत भागीदार बन सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘‘भरपूर संसाधन तथा हाइड्रोकार्बन के बढते उत्पादन के साथ अफ्रीका हमारे लिये एक स्वभाविक सहयोगी है. यह भारत और अफ्रीका दोनों के लिये उर्जा सुरक्षा….मांग एवं आपूर्ति दोनों की सुरक्षा… को लेकर प्रतिबद्धता मजबूत करने का एक अवसर है. हमारा एक दूसरे का पूरक होना फायदेमंद है जिसे हमें से कोई भी उपेक्षा नहीं कर सकता .’
विदेश मंत्री ने फिर से घोषणा की कि भारत अगले पांच साल में अफ्रीका को 10 अरब डालर का रियायती कर्ज देगा. साथ ही 60 करोड डालर का अनुदान देगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में 2013 के मुकाबले हमारा अफ्रीका से एलएनजी का आयात दोगुना हो गया. भारत की एलएनजी जरुरतों को पूरा करने में अफ्रीका की भूमिका बढेगी क्योंकि आने वाले वर्ष में कई और एलएनजी परियोजनाएं आएंगी.
सुषमा ने अफ्रीकी देशों से अनुरोध किया कि वह सहयोग केवल हाइड्रोकार्बन तक सीमित नहीं रखें बल्कि इसे सौर उर्जा, पवन उर्जा जैसै उर्जा के स्वच्छ स्रोत तक विस्तार करें जहां भारत ने प्रगति की हैं .इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि इस सम्मेलन में 21 देश भाग ले रहे हैं जो अफ्रीकी देशों की रुचि को बताता है.
उन्होंने कहा कि उर्जा क्षेत्र में भागीदारी की संभावना तलाशने के लिये इस साल भारत इन अफ्रीकी देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ अफ्रीकी देश बदलते समय के साथ अपनी रिफाइनिंग क्षमता को उन्नत बनाना चाहते हैं और भारत इसमें अहम भूमिका निभा सकता है. इसके अलावा ये देश भारत के देश में एलपीजी जैसे स्वच्छ इ’धन वितरण की प्रणाली के माडल का लाभ उठा सकते हैं.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.