नयी दिल्ली : एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र को खाद्य एवं ग्रॉसरी के बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए, जिससे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिल सकेगा .
एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे स्थानीय स्टोर प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि ज्यादातर भारतीय उपभोक्ता फल एवं सब्जियां स्थानीय बाजार से ही खरीदते हैं. दिल्ली के शोध संस्थान अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (इक्रियर) की रिपोर्ट कुछ सप्ताह पहले खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई नीति पर नए सिरे से विचार का सुझाव देने के बाद आई है.
मौजूदा नीति के तहत पहले से बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई का प्रावधान है. भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत फैसले को वापस नहीं लिया है. इक्रियर की अर्पिता मुखर्जी ने कहा, ‘‘सर्वेक्षण से यह तथ्य सामने आया है कि 53.3 प्रतिशत भारतीय उपभोक्ता फल एवं सब्जियां स्थानीय बाजारों से खरीदते हैं. वहीं 18.8 प्रतिशत रेहडी वालों से इसकी खरीद करते हैं.
जबकि कुछ चुनिंदा महानगरों में संगठित खुदरा स्टोर मौजूद हैं.” फिलहाल खाद्य एवं ग्रॉसरी क्षेत्र मुख्य रुप से गैर कारपोरेट है और बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर अंकुश हैं. इसकी वजह से बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करने की रचि नहीं दिखाई है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.