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जाट आंदोलन: उत्तर भारत को 34,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

नयी दिल्ली: उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने कहा है कि उत्तर भारत के राज्यों को जाट आंदोलन के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से 34,000 करोड रुपये के नुकसान होने का अनुमान है. उद्योग मंडल ने यह भी कहा कि आपूर्ति बाधाओं के कारण जरुरी जिंसों के दाम में तेजी आ सकती है. पीएचडी चैंबर […]

नयी दिल्ली: उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने कहा है कि उत्तर भारत के राज्यों को जाट आंदोलन के कारण आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से 34,000 करोड रुपये के नुकसान होने का अनुमान है. उद्योग मंडल ने यह भी कहा कि आपूर्ति बाधाओं के कारण जरुरी जिंसों के दाम में तेजी आ सकती है.

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने कहा, ‘‘न केवल हरियाणा में बल्कि उत्तर भारत के राज्यों में आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से जरुरी जिंसों की आपूर्ति प्रभावित हुई है, ऐसे में मुद्रास्फीति पर इसके प्रभाव को खारिज नहीं किया जा सकता.’ गुप्ता ने कहा कि रेलवे, सडक, यात्री वाहन, माल ढुलाई वाहनों के बाधित होने, सैलानियों की संख्या में कमी, वित्तीय सेवाओं में कमी, विनिर्माण, बिजली तथा निर्माण समेत उद्योग क्षेत्र में राज्यों के जीएसडीपी को वित्त वर्ष 2015-16 की अंतिम तिमाही में भारी नुकसान हो सकता है.
उद्योग मंडल के अनुसार पर्यटन क्षेत्र, परिवहन एवं वित्तीय सेवाओं समेत सेवा गतिविधियों को आंदोलन के कारण 18,000 करोड रुपयेके नुकसान का अनुमान है. इसके अलावा विनिर्माण, बिजली, निर्माण गतिविधियों एवं खाद् वस्तुओं को नुकसान के कारण औद्योगिक एवं कृषि कारोबार गतिविधयों को 12,000 करोड रुपये का नुकसान हुआ है.
साथ ही सडक, रेस्तरां, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन समेत अन्य ढांचागत सुविधाओं को हुए नुकसान के कारण 4,000 करोड रुपये का नुकसान हो सकता है. इस प्रकार, कुल मिलाकर जाट आंदोलन के कारण 34,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
नुकसान का यह आकलन हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ, राजस्थान

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