नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एक व्यवस्था दी है, जिसके तहत निजी बैंकों के प्रमुख व कर्मचारी भी भ्रष्टाचार के मामलों में लोकसेवक माने जायेंगे.मानाजा रहा हैकि अदालत के इस फैसले से बैंकिंग व्यवस्था में पारदर्शित आयेगी. अदालत ने कहा है कि निजी बैंकों के प्रमुख व कर्मी अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के संदर्भ में लोक सेवक यानी सरकारी कर्मचारी माने जाएंगे.
अदालत ने एक निजी ग्लोबल ट्रस्ट बैंक के दो वरिष्ठ अधिकारियों की गतिविधियों से जुड़े एक मुकदमे की सुनवाई करते हुए कल उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने यह फैसला दिया है. अदालत ने पाया कि इस बैंक के इन अधिकारियों ने कथित रूप से बैंक की धनराशि हड़पने के लिए अपने पदों का दुरुपयोग किया.
मालूम हो कि बैंकिंग क्षेत्र का नियमन, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के तहत किया जाता है. इस कानून की धारा 26 ए के अनुसार, भारतीय दंड संहिता के उद्देश्यों के लिए ऐसी बैंकिंग कंपनी के अध्यक्ष प्रबंध निदेशक और किसी अन्य कर्मी को लोकसेवक माना जाता है.
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