बजट डेस्क
नयी दिल्ली : रेलमंत्री सुरेश प्रभु इस बार रेल बजट में रेलवे के ऑपरेटिंग रेसियो यानी कमाई और खर्च के अनुपात को दुरुस्त करने की कोशिश करते नजर आयेंगे और इसके लिए वे किराया वृद्धि से लेकर रेलवेकाअत्यधिक व्यावसायीकरण तक करने की पहल करेंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु की यह कवायद अगले वित्तीय वर्ष में ही नहीं जारी वित्तीय वर्ष में भी रंग लाती दिखेगी औरजारी वित्तीय वर्ष में रेलवे का ऑपरेटिंग रेसियो 90 के आसपास हो जायेगा. मालूम हो कि ऑपरेटिंग रेसियो तात्पर्य है कि रेलवे अगर 100 पैसा कमाता है, तो उसमें कितना खर्च करता है. यानी अगर ऑपरेटिंग रेसियो 90 के आसपास आता है, तो इसका अर्थ हुआ कि 100 पैसे की कमाई होती है तो उसमें 90 पैसे खर्च किये जाते हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले सात सात सालों में पहली बार बीते वर्ष ऐसे आंकड़े आयेथे जिसमें ऑपरेटिंग रेसियो के पॉजिटिव होने के संकेत थे. वर्ष 2014 15 के आकड़ों के अनुसार, ऑपरेटिंग रेसियाे का लक्ष्य 92.5 प्रतिशत रखा गया था, जो लक्ष्य से भी बेहतर 91.3 प्रतिशत रहा.
सुरेश प्रभु के नेतृत्व में रेलवे बोर्ड अपने ऑपरेटिंग रेसियो को सुधारने के लिए तेजी से काम कर रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, 80 के आसपास के अॉपरेटिंग रेसियो को आदर्श माना जाता है, जिससे रेलवे के पास अतिरिक्त पैसे बचेंगे और वह अपनी संरचनागत सुधार में उसे व्यय कर सकेगा. किसी जमाने में रेलवे का ऑपरेटिंग रेसियो इस स्तर पर होता भी था, लेकिन रेलवे काे वोट बैंक बटोरने का साधन बनने के कारण लोकलुभावन फैसलों ने ऑपरेटिंग रेसियो की सेहत को लगातार बिगाड़ा. हालांकि प्रभु के प्रयासों ने अब असर दिखाया है. वित्तीय वर्ष 2014 15 में पिछले वर्ष की तुलना यात्रियों से आय में 15.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि माल ढुलाई से आय में 12.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. इससे ऑपरेटिंग रेसियो को सुधारने में बहुत मदद मिली. अब जब रेल मंत्री वित्तीय वर्ष 2015 16 की उपलब्धियों का लेखा जोखा पेश करेंगे तो नये ऑपरेटिंग रेसियो का खुलासा हो सकेगा.
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