जानें 2016 की आर्थिक समीक्षा में क्या हैं प्रमुख बातें
नयी दिल्ली : आम बजट से पहले आज पेश वार्षिक आर्थिक समीक्षा में वाह्य स्थिति को चुनौतीपूर्ण करार दिया गया है. बावजूद इसके अगले वित्त में आर्थिक वृद्धि 7-7.5 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गयी है. समीक्षा पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगले कुछ साल में जीडीपी वृद्धि दर […]
नयी दिल्ली : आम बजट से पहले आज पेश वार्षिक आर्थिक समीक्षा में वाह्य स्थिति को चुनौतीपूर्ण करार दिया गया है. बावजूद इसके अगले वित्त में आर्थिक वृद्धि 7-7.5 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गयी है. समीक्षा पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगले कुछ साल में जीडीपी वृद्धि दर बढकर आठ प्रतिशत तक पहुंच जाएगी. संसद में पेश वित्त वर्ष 2015-16 के आर्थिक सर्वेक्षण में नीति और नियमों में सुधार की प्रक्रिया को आगे बढाने की जरुरत पर बल दिया गया है ताकि वृहत्-आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए तीव्र वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके.
समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों और 2015-16 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर अनुमानित स्तर से कम रहने के बावजूद 3.9 प्रतिशत राजकोषीय लक्ष्य प्राप्त करने योग्य नजर आता है. समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर्ज करने के बाद अब चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी. समीक्षा में हालांकि चेतावनी दी गयी है कि यदि विश्व अर्थव्यवस्था में नरमी बरकरार रहती है तो भारत की वृद्धि दर को बडी चुनौतियों का सामना करना पडेगा.
संसद में आज पेश वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें
– जीडीपी की वृद्धि 2016-17 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी.
– चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी, यदि निर्यात में तेज बढोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक.
– वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि.
– कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35 डालर प्रति बैरल रहेगा जो इस वर्ष 45 डालर प्रति बैरल है.
– 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5-पांच प्रतिशत रहने का अनुमान.
– मुद्रास्फीति में मजबूती के साथ निम्न स्तिर पर, मूल्य स्थिरता बढी है.
– वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने से मूल्य अस्थिरता नहीं आएगी.
– कर का दायरा बढाया जाए, 20 प्रतिशत से अधिक लोगों को कर के घेरे में लाया जाए जो फिलहाल आबादी का 5.5 प्रतिशत है.
– चुनौतीपूर्ण वाह्य वातावरण आर्थिक नीतियों के लिए आशंका पैदा करेंगा.
– राजकोषीय घाटा इस साल 3.9 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य हासिल हो जाएगा, आने वाला साल चुनौतीपूर्ण है.
– अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी बिल सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत से कम रहेगा.
– जीएसटी विधेयक में देरी पर चिंता.
– कंपनियों, बैंकों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बरकरार. 4 उपायों – पहचान, पुनर्पंजीकरण, समाधान समाधान और सुधार पर बल.
– सरकारी क्षेत्र बैंकों को 2018-19 तक 1.8 लाख करोड रुपये की इक्विटी पूंजी की जरुरत.
– चालू खाते का घाटा 1-1.5 प्रतिशत, विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी मध्य तक 351.5 अरब डालर.
– वित्त वर्ष 2015-16 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 9.2 प्रतिशत.
– विदेशी पूंजी निकासी संभव को देखते हुए घरेलू मांग बढाने का सुझाव.
– हालिया सुधार के कारण औद्योगिक, बुनियादी ढांचा, कार्पोरेट क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद.
– स्वास्थ्य, शिक्षा, में और निवेश, कृषि पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत.
– सरकारी कर राजस्व बजट अनुमान से अधिक रहेगा.
– निर्यात में नरमी बरकरार रहेगी, अगले वित्त वर्ष में तेजी आएगी.
– भारत को व्यापार में संरक्षणवादी पहलों के खिलाफ खडा होना चाहिए.
– उर्वरक क्षेत्र के लिए सुधार पैकेज का सुझाव.
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