नयी दिल्ली : देश को कर-जीडीपी अनुपात बढाने तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर और खर्च करने कीजरूरतहै. वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है.
देश का कर-जीडीपी अनुपात 16.6 प्रतिशत है और यह उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों तथा ओईसीडी की तुलना में कम है और इन क्षेत्रों में यह क्रमश: करीब 21 प्रतिशत तथा 34 प्रतिशत है. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुसार, ‘‘देश का कर-जीडीपी अनुपात तुलनात्मक देशों से करीब 5.4 प्रतिशत कम है. भारत स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर तुलनात्मक देशों से औसतन करीब 3.4 प्रतिशत कम खर्च करता है.’
समीक्षा के अनुसार देश में कमाई करने वाले 5.5 प्रतिशत व्यक्ति कर के दायरे में हैं और बजट पूर्व आंकड़ा अंतर को बताता है जिसे पाटने की जरुरत है ताकि देश पूर्ण रुप से करदाता वाला लोकतंत्र बन सके. इसमें कहा गया है कि कर एवं व्यय को न केवल राजकोषीय नजरिये से बल्कि संस्थागत दृष्टिकोण से भी देखा जाना चाहिए.
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