बजट 2016 : आयकर में छूट की उम्मीद कम
नयी दिल्ली: आज संसद में जारी आर्थिक सर्वे के बाद आयकर में छूट की उम्मीद कर रहे वेतनभोगियों को निराशा हाथ लग सकती है. आमतौर पर आर्थिक सर्वे से बजट का पूर्वानुमान लग जाता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा कि देश में पहले से ही बहुत कम लोग कर चुकाते है […]
नयी दिल्ली: आज संसद में जारी आर्थिक सर्वे के बाद आयकर में छूट की उम्मीद कर रहे वेतनभोगियों को निराशा हाथ लग सकती है. आमतौर पर आर्थिक सर्वे से बजट का पूर्वानुमान लग जाता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा कि देश में पहले से ही बहुत कम लोग कर चुकाते है ऐसे में आयकर की सीमा में छूट दे पाना संभव नहीं हो पायेगा.
अरुण जेटली द्वारा संसद में आज पेश 2015-16 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि सरकार को आयकर छूट की सीमा बढाने से बचना चाहिए. इससे व्यक्तिगत आय को सहज तरीके से बढाने में आसानी होगी और करदाताओं का आधार बढाया जा सकेगा. हालांकि, समीक्षा में संपत्ति कर का विस्तार और इसकी दर बढाये जाने का सुझाव दिया गया है. समीक्षामेंकर छूट राज की समीक्षा करने और इसको चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का भी सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया है कि इससे अपेक्षाकृत अमीर निजी क्षेत्र को फायदा हुआ है. समीक्षा में इसके साथ संपन्न लोगों पर ‘उचित’ कराधान का भी सुझाव दिया गया है.
समीक्षा कहती है कि दूसरे देशों के साथ तुलना से पता चलता है कि भारत में करदाताओं का अनुपात निम्न है. इसमें कहा गया है कि देश की 85 प्रतिशत अर्थव्यवस्था अभी भी कर दायरे से बाहर है. ‘‘कमाने वाले सिर्फ 5.5 प्रतिशत लोग ही कर दायरे में हैं. इस अनुपात को 23 प्रतिशत तक करने की जरूरत है.’ आजादी के बाद से आंकडों के अध्ययन के हवाले से समीक्षामेंकहा गया है कि आमदनी में इजाफे की तुलना में आयकर छूट की सीमा में ज्यादा तेजी से बढ़ोतरी की गयी है.
समीक्षा में संपत्ति कर की दरों में बढोतरी की वकालत की गई है. इसमें कहा गया है कि स्मार्ट शहरों को स्मार्ट सार्वजनिक वित्त और ठोस संपत्ति कर व्यवस्था की जरूरत है. यह भारत के शहरी भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. समीक्षा कहती है कि सरकार की खर्च संबंधी प्राथमिकताओं में आवश्यक सेवाएं शामिल की जानी चाहिए. ये सेवाएं ऐसी हैं जिनका सभी नागरिकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सार्वजनिक ढांचा, कानून एवं व्यवस्था, प्रदूषण और भीड़भाड़ में कमी शामिल है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भी संसद में आर्थिक सर्वे पेश होने के बाद मीडिया को बताया कि वैशविक औसत के मुकाबले भारत में बहुत कम लोग टैक्स चुकाते है. आयकर में छूट की सीमा बढ़ाने पर राजस्व का नुकसान हो सकता है.