17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिंडिकेट बैंक में 1000 करोड़ के घोटाले में 5 अधिकारियों और 4 व्यापारियों का हाथ

नयी दिल्ली: ठग नटवरलाल को भी पीछे छोड देने वाले एक घोटाले में चार व्यापारियों ने राजस्थान में सिंडिकेट बैंक की तीन शाखाओं में उनके अधिकारियों के साथ मिलकर 386 खाते खोलकर जाली चेक, लेटर ऑफ क्रेडिट और एलआईसी की पॉलिसी का इस्तेमाल कर बैंक को 1000 करोड रुपये का चूना लगाया. सीबीआई ने इस […]

नयी दिल्ली: ठग नटवरलाल को भी पीछे छोड देने वाले एक घोटाले में चार व्यापारियों ने राजस्थान में सिंडिकेट बैंक की तीन शाखाओं में उनके अधिकारियों के साथ मिलकर 386 खाते खोलकर जाली चेक, लेटर ऑफ क्रेडिट और एलआईसी की पॉलिसी का इस्तेमाल कर बैंक को 1000 करोड रुपये का चूना लगाया. सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज दिल्ली एनसीआर, जयपुर और उदयपुर में 10 स्थानों पर तलाशी ली.

सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में बैंक के अधिकारियों और व्यापारियों के नाम शामिल हैं. सीबीआई ने सतीश कुमार गोयल, महाप्रबंधक :तब जयपुर में पदस्थापित:, संजीव कुमार, डीजीएम, क्षेत्रीय कार्यालय, देशराज मीणा, मुख्य प्रबंधक, एमआई रोड शाखा, आदर्श मनचंदा, मालवीय नगर सभी जयपुर में और अवधेश तिवारी, एजीएम, उदयपुर के खिलाफ मामला दर्ज किया.इन सभी अधिकारियों को सिंडिकेट बैंक ने निलंबित कर दिया है और सीबीआई के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई गई जिसके आधार पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया है.

सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा, उदयपुर में रहने वाले चार्टर्ड एकाउन्टेंट भरत बंब, व्यापारी पीयूष जैन और विनीत जैन :एक ही शहर के: और जयपुर के व्यापारी शंकर खंडेलवाल को भी प्राथमिकी में नामजद किया गया है.सूत्रों ने बताया कि इन व्यापारियों ने बैंक अधिकारियों के साथ कथित तौर पर साठगांठ करके जाली चेकों और बिलों की डिस्काउन्टिंग और जाली लेटर ऑफ क्रेडिट और बिना अस्तित्व वाली एलआईसी पालिसी के खिलाफ ओवर ड्राफ्ट सीमा की व्यवस्था करने का सहारा लिया.

सूत्रों ने बताया कि यह घोटाला 2011-15 के दौरान निर्बाध तरीके से चलता रहा और ऑडिट और केवाईसी मानदंडों की औपचारिकताओं से बचता रहा क्योंकि विभिन्न प्रकृति के 386 खाते तीन शाखाओं- जयपुर में मालवीय नगर और एमआई रोड और उदयपुर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में खोले गए थे.

सूत्रों ने बताया कि बैंक अधिकारियों की साठगांठ के बिना यह संभव नहीं था। वे इस अपराध के प्रति आंख मूंदे रहे. यह अपराध पांच साल तक चलता रहा.सूत्रों ने बताया कि पांच वर्ष की अवधि में बडी संख्या में जाली चेक, एलआईसी पॉलिसी और विभिन्न बैंकों द्वारा जारी लेटर ऑफ के्रडिट का इस्तेमाल सिंडिकेट बैंक की शाखाओं से धन निकालने में किया गया.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें