नयी दिल्ली : अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस डिफेंस ने इस्राइल की राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम के साथ भारत में संयुक्त उद्यम लगाने के लिए करार किया है. यह संयुक्त उद्यम विशेषीकृत क्षेत्रों मसलन हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल आदि पर ध्यान केंद्रित करेगा.
संयुक्त उद्यम का इरादा अगले दस साल में 10 अरब डालर यानी 65,000 करोड रुपये की परियोजनाएं हासिल करने का है. कंपनी ने बयान में कहा, ‘‘किसी भारतीय कंपनी और किसी मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) के बीच यह सबसे बड़ा संयुक्त उद्यम है. रिलायंस डिफेंस की शतप्रतिशत अनुषंगी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. और राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स लि ने भारत में संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने का फैसला किया है, जो विशेषीकृत क्षेत्रों मसलन हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, हवाई रक्षा प्रणाली तथा बड़े एरोस्टेट्स आदि में परियोजनाएं हासिल करने का प्रयास करेगी.”
सरकार के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार संयुक्त उद्यम में रिलायंस डिफेंस की 51 प्रतिशत तथा राफेल की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. इससे देश में रक्षा उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा. इसके अलावा इससे अत्याधुनिक सैन्य हथियार प्रणाली के विकास में मदद मिलेगी. इसमें कहा गया है कि प्रौद्योगिकी क्षेत्र की ताकत और दुनिया की प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी के साथ करार से रिलायंस डिफेंस जटिल हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और हवाई रक्षा प्रणाली विनिर्माण क्षेत्र में उतर सकेगी.
संयुक्त उद्यम कंपनी मध्य प्रदेश के इंदौर के पीथमपुर में स्थित होगी और इससे 3,000 उच्च कौशल वाले रोजगार का सृजन होगा. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि परियोजना का शुरुआती पूंजीगत व्यय 1,300 करोड़ रपये होगा. इसमें प्रौद्योगिकी की लागत शामिल नहीं है.
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