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टाटा के यूरोप में स्टील कारोबार बेचने की खबर मात्र से क्यों बढ़ गयी ब्रिटेन की परेशानी?

अमलेश नंदन सिन्हा भारत के साथ यूरोप की अग्रणी स्टील निर्माता कंपनी टाटा ब्रिटेन में अपने स्टील कारोबार को बेचने वाली है. टाटा ग्रुपकेइस एक फैसलेनेब्रिटेनसहित पूरे यूरोप मेंहलचलपैदाकर दी है.टाटाके इस कदम से उत्पन्न संकटको महजइस बात से समझाजा सकता है कि ब्रिटेन में टाटा के इस कदम के खिलाफ एक लाख याचिकाएं दायर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2016 6:30 PM


अमलेश नंदन सिन्हा

भारत के साथ यूरोप की अग्रणी स्टील निर्माता कंपनी टाटा ब्रिटेन में अपने स्टील कारोबार को बेचने वाली है. टाटा ग्रुपकेइस एक फैसलेनेब्रिटेनसहित पूरे यूरोप मेंहलचलपैदाकर दी है.टाटाके इस कदम से उत्पन्न संकटको महजइस बात से समझाजा सकता है कि ब्रिटेन में टाटा के इस कदम के खिलाफ एक लाख याचिकाएं दायर की गयी हैं और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून इस संकट से निबटने के लिए आपात बैठक कर रहे हैं. कैमरून की हरसंभव कोशिश है कि टाटा के फैसले से उत्पन्न होने वाले संकट से देश को किसी तरह उबारा जाये.

17000 लोग बेरोजगार हो जायेंगे

इसके बंद होने से हजारो श्रमिकों की नौकरी खतरे में पड़ेगी. लागत में कटौती करने में कई वैश्विक कारणों से नाकाम रही कंपनी घाटे के कारण अपने स्टील कारोबार को ब्रिटेन से समेटने की तैयारी में है. कंपनी ने कारखाने को बेचने की तैयारी कर ली है. टाटा के इस फैसले से करीब 17, 000 लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. लोगों ने इस फैसले के खिलाफ एक वीडियो बनाया है, जो खूब चर्चा में आ चुका है. ब्रिटेनकेलिए यह फैसला सिर्फ रोजगार का ही संकट पैदा नहीं करेगा, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था के लिए भी यह नुकसानदेह साबित होगा. ब्रिटेन मेंमहंगाईंधन और चीन की ओर से सस्ते स्टील की आपूर्ति टाटा के इस फैसले का मुख्‍य कारण है. हालांकि ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरून इस समस्या से निपटने के लिए अपने सांसदों के साथ बैठक करने वाले हैं. गौरतलब है कि ब्रिटेन में स्टील उद्योग इस समय भारी मंदी में है और टाटा स्टील को भी लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. टाटा ने मंदी से निबटने के लिए पहले भी कर्मचारियों की छंटनी की थी.

2007में ब्रिटेनमेंटाटाने किया था काम शुरू

टाटा ने ब्रिटेन के स्टील क्षेत्र में 2007 की शुरुआत में प्रवेश किया. टाटा ने तब एंग्लो-डच इस्पात निर्माता कंपनी ‘कोरस’ का कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच अधिग्रहण किया था. यह किसी भारतीय कंपनी समूह का विदेश में किया गया सबसे बड़ा अधिग्रहण था. पिछले करीब 12 महीनों से कंपनी की वित्तीय हालात काफी खराब हुई है, जिसके बाद अब कंपनी ने वहां के अपने कारोबार को बेचने का फैसला लिया है. टाटा समूह की अग्रणी कंपनी टाटा स्टील ने सभी विकल्पों पर गौर करने के बाद पोर्टफोलियो पुनर्गठन के तहत कंपनी अपना ब्रिटेन का कारखाना पूरी तरह अथवा हिस्सों में बेचने का निर्णय ले सकता है. प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, ‘हम कंपनी और स्थानीय समुदायों के साथ नजदीकी तौर पर काम करेंगे ताकि लोगों को जो भी ट्रेनिंग या मदद चाहिए, वो उन्हें दी जा सके.’ टाटा स्टील की यूरोपीय शाखा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्ल कोएलर ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि यूरोपीय आयोग अनुचित आयातों को लेकर तेजी से और मजबूत कदम उठाए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो इससे यूरोप का पूरा स्टील उद्योग खतरे में पड़ जाएगा.’ सस्ते चीनी आयात, पाउंड की मजबूती और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के चलते ब्रिटेन के स्टील उद्योग को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

कब और कैसे हुई थी ‘कोरस’ की डील

टाटा स्टील ने 2007 में 14.2 अरब डॉलर (अब करीब 94,000 करोड़ रुपये) में एंग्लो-डच कंपनी कोरस को खरीदा था. इसके लिए इसने 10.5 अरब डॉलर कर्ज लिया था. इस खरीद के एक साल बाद ही 2008 में आर्थिक मंदी आ गयी. इस मंदी से वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी तक उबर नहीं पायी है. ‘कोरस’ को खरीदते समय टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा थे. लेकिन बाद में उन्होंने कहा था, ‘अगर पता होता कि ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस आने वाला है तो यह डील नहीं करता.’

कंपनी ने यह बड़ा फैसला दिसंबर 2015 के घाटे के बाद लिया है. कंपनी को दिसंबर में 675 करोड़ का घाटा हुआ था. छटनी, एसेट सेलिंग और मॉडर्नाइजेशन के बावजूद टाटा स्टील यूरोप फायदे में नहीं आ सकी. इससे पहले वाली तिमाही में कंपनी का घाटा 365 करोड़ था. कंपनी ने जनवरी में 1,050 लोगों को निकालकर घाटे को पाटने का प्रयास किया. अक्तूबर से अब तक कंपनी 3,000 लोगों को हटा चुकी है. लेकिन अगर कारखाना बंद हुआ तो 17000 से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. यूरोप के ट्रेड यूनियनों ने बेरोजगारी को लेकर एक वीडियो तैयार किया है, जिसमें कंपनी के बंद होने की विभीषिका को दर्शाया गया है.

(एजेंसी वप्रमुख इंटरनेशनल न्यूज सोर्स के इनपुट के साथ)

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