नयी दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि आरबीआई की नीतिगत दर में कटौती से अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा प्रोत्साहन है और इससे बैंकों ब्याज दर घटाने को प्रेरित होंगे. वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरबीआई की आज की पहल स्वागत योग्य है.
निश्चित तौर पर यह अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत अच्छा प्रोत्साहन है.’ रिजर्व बैंक ने आज अपनी पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में अल्पकालिक नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की और नकदी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई पहलें की ताकि बैंक उत्पादक क्षेत्रों को ऋण प्रदान कर सकें. साथ ही संकेत दिया कि आने वाले दिनों में नीतिगत उदारता बरकरार रहेगी.
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा,‘‘कुछ बैंकों ने ऋण की सीमांत लागत को ध्यान में रखकर अपनी ब्याज दर का पहले ही समायोजन कर लिया है और इन पहलों के मद्देजर उसी अनुपात में कटौती की है. आज आरबीआई की घोषणा के बाद बैंकों को शायद आरबीआई की नीतिगत दर में कटौती और फायदा देना होगा.’
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति पेश करते हुए कहा कि ऋण पर ब्याज को धन की सीमांत लागत (एमसीएलआर) पर आधारित करने की व्यवस्था लागू होने के बाद बैंक ब्याज दर में 0.25-0.50 प्रतिशत की कटौती कर चुके हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि नीतिगत घोषणा के बाद वे इसमें और कटौती करेंगे.
सिन्हा ने कहा कि बजट में कई राजकोषीय और सुधार संबंधी पहलें की गयीं जिससे मौद्रिक नीति में ढील देने का अवसर बना है. उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई के साथ मिल कर हमें राजकोषीय और मौद्रिक दोनों तरह की पहलों को बढ़ाने की जरूरत है और उसकी तैयारी पहले से है. हम इसी पर काम कर रहे हैं. ऐसा कर हम अर्थव्यवस्था को आवश्यक प्रोत्साहन देंगे.’ दास ने कहा कि भारत को ब्याज दर और सौदों की लागत दोनों लिहाज से कम लागत वाली अर्थव्यवस्था बनने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्पष्ट कर दिया है कि जीएसटी पेश किए जाने से कारोबार करने की लागत और विनिर्माण लागत उल्लेखनीय रूप से कम होगी. हम कम ब्याज दर वाली प्रणाली पर भी विचार कर रहे हैं ताकि विनिर्माण और बुनियादी ढांचे में ज्यादा निवेश हो.’ दास ने कहा कि सरकार निजी क्षेत्र में निवेश को सुविधा प्रदान करने के लिए कई पहलें करती रही है और एफडीआई सुधार के संबंध में प्रक्रिया आसान बनाने के लिए पहलों की घोषणा की है.
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार की कोशिश है ऐसा नीतिगत ढांचा प्रदान किया जाए जिसमें निजी क्षेत्र का निवेश बढे. कृषि क्षेत्र के लिए उल्लेखनीय परिव्यय के आवंटन से हमें उम्मीद है कि ग्रामीण मांग बढेगी जिसकी हमारी घरेलू मांग में उल्लेखनीय हिस्सेदारी है. उम्मीद है इस साल मानसून अच्छा रहेगा और मुझे लगता है कि घरेलू मांग में भी सुधार होना चाहिए.’
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