‘आप’ से बाजार गदगद

-उद्योग जगत को केजरीवाल से सहयोग मिलने की उम्मीद- नयी दिल्लीः उद्योग जगत ने शनिवार को भरोसा जताया कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बनी आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार उद्योगों की हितैषी होगी. उद्योग मंडलों ने यह भी कहा है कि आप सरकार का काम अच्छा होगा, तो उसकी आर्थिक विचाराधारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2013 4:17 AM

-उद्योग जगत को केजरीवाल से सहयोग मिलने की उम्मीद-

नयी दिल्लीः उद्योग जगत ने शनिवार को भरोसा जताया कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बनी आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार उद्योगों की हितैषी होगी. उद्योग मंडलों ने यह भी कहा है कि आप सरकार का काम अच्छा होगा, तो उसकी आर्थिक विचाराधारा कोई मायने नहीं रखती. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा कि सीआइआइ को विश्वास है कि नयी सरकार उद्योग जगत की हितैषी होगी तथा आर्थिक व सामाजिक, दोनों ही क्षेत्र में दिल्ली की उच्च स्थिति को और सुदृढ करेगी.

बनर्जी ने कहा है कि सीआइआइ ‘सभी वर्गों’ तक विकास का लाभ पहुंचाने, सार्वजनिक निजी भागीदारी के मॉडल के अंतर्गत समाजिक व भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास, लोगों में कौशल विकसित करने व उन्हें काम पर रखने लायक बनाने, सामाजिक सुरक्षा तथा विशेष रूप से दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और ज्ञान आधारित उद्योगों में निवेश आकर्षित करने के मामले में नयी सरकार के साथ मजबूत भागीदारी निभाना चाहता है.’ सीआइआइ ने कहा है कि वह खास कर दिल्ली को सेवा उद्योग का केंद्र बनाने के लिए नयी सरकार के साथ मजबूत भागीदारी करना चाहता है. उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने आप को एक ‘नया प्रयोग’ बताया. उन्होंने कहा कि जहां तक आप की आर्थिक नीति का सवाल है, तो जब तक काम करती है और वायदे पूरा करती है, तब तक विचारधारा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. एसोचैम प्रमुख ने कहा कि ‘आप के वायदे ऊंचे जरूर हैं’ पर यदि नयी सरकार परिचालन में सुधार कर के बिजली की दर कम करा सके, तो यह आर्थिक रूप से व्यावहारिक और अच्छा ही होगा. एसोचैम ने याद दिलाया है कि दिल्ली में एक तिहाई (30}) बिजली वितरण व ट्रांसमिशन में गायब हो जाती है.

कपूर ने यह भी कहा है कि दिल्ली में आप की जीत ने यह साबित कर दिया है कि यदि राजनीति में प्रवेश की बाधा खत्म कर दी जाये, तो हर क्षेत्र और वर्ग के लोग राजनीतिक प्रणाली से जुड़ना चाहेंगे. इससे देश का लोकतंत्र समृद्ध होगा. उन्होंने नयी पार्टी की सफलता को पुराने राजनीतिक दलों के लिए एक स्पष्ट संदेश बताया कि अब ‘राजकाज के बुनियादी मुद्दों से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.’

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