नयी दिल्ली: वेतन वृद्धि का दौर फिर से आया है और विशेषज्ञों का कहना है कि कर्मचारी 10-12 प्रतिशत जबकि शीर्ष प्रतिभाएं 25 प्रतिशत की उम्मीद कर सकती हैं लेकिन आने वाले दिनों में साल में एक बार होने वाले प्रदर्शन के आकलन की प्रक्रिया बदल सकती है क्योंकि कंपनियां ज्यादा नियमित प्रतिक्रिया (फीड-बैक संस्कृति […]
नयी दिल्ली: वेतन वृद्धि का दौर फिर से आया है और विशेषज्ञों का कहना है कि कर्मचारी 10-12 प्रतिशत जबकि शीर्ष प्रतिभाएं 25 प्रतिशत की उम्मीद कर सकती हैं लेकिन आने वाले दिनों में साल में एक बार होने वाले प्रदर्शन के आकलन की प्रक्रिया बदल सकती है क्योंकि कंपनियां ज्यादा नियमित प्रतिक्रिया (फीड-बैक संस्कृति की ओर रख कर रही हैं. ज्यादातर कंपनियों में प्रबंधन की ऐसी व्यवस्था है जिसमें कर्मचारियों के प्रदर्शन को अन्य के मुकाबले आंका जाता (बेल कर्व प्रणाली0 है और इन्हें शीर्ष, औसत और न्यूनतम प्रदर्शन करने वालों की श्रेणी में रखा जाता है और ज्यादातर लोगों को औसत प्रदर्शनकारियों की श्रेणी में रखा जाता है.
मानव संसाधन विशेषज्ञों का हालांकि मानना है कि समय बदल रहा है और ज्यादा से ज्यादा कंपनियों अपनी आकलन प्रणाली में बदलाव की योजना बना रही हैं और समीक्षाण प्रणाली के जरिए ज्यादा नियमित फीडबैक का विकल्प चुन रही रही हैं.विलिस टावर्स वाट्सन इंडिया के निदेशक (प्रतिभा एवं संवाद) शत्रुंजय कृष्ण ने कहा, ‘‘मजबूरन रेटिंग कम करने की प्रणाली (बेल कर्व) को खत्म करने पर निश्चित तौर पर ध्यान दिया जा रहा है और ज्यादातर कंपनियां इसे यदि पूरी तरह नहीं तो कम से कम प्रयोगिक तौर पर जरुर अपनाने की इच्छुक हैं.’ हाल में एक्सेंचर, इन्फोसिस, एचसीएल, एक्सिस बैंक और केपीएमजी जैसी कंपनियों ने बेल कर्व आकलन प्रणाली से दूसरी प्रणाली प्रणाली का रख किया है और उम्मीद है कि अन्य कंपनियां भी इसे अपनाएंगी
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.