फंसे कर्ज की राशि सार्वजनिक करने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट, आरबीआइ की अपील ऐसा न हो

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय व्यक्तियों और इकाइयों पर बैंकों की कुल लाखों करोड़रुपये की बकाया राशि के बारे में रिजर्व बैंक द्वारा सील बंद लिफाफे में उपलब्ध करायी गयी जानकारी सार्वजनिक किये जाने की मांग के आज पक्ष में दिखा पर आरबीआइ ने गोपनीयता के अनुबंध का मुद्दा उठाते हुए इसका विरोध किया. मुख्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 12, 2016 1:29 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय व्यक्तियों और इकाइयों पर बैंकों की कुल लाखों करोड़रुपये की बकाया राशि के बारे में रिजर्व बैंक द्वारा सील बंद लिफाफे में उपलब्ध करायी गयी जानकारी सार्वजनिक किये जाने की मांग के आज पक्ष में दिखा पर आरबीआइ ने गोपनीयता के अनुबंध का मुद्दा उठाते हुए इसका विरोध किया.

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति आर भानुमति ने कहा, ‘‘ इस सूचना के आधार पर एक मामला बनता है. इसमें उल्लेखनीय राशि जुड़ी है.” पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से इसका विरोध किया गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसमें गोपनीयता का अनुबंध जुड़ा है तथा इनआंकड़ों को सार्वजनिक कर देने पर उसका अपना प्रभाव पड़ेगा. पीठ ने कहा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है. न्यायालय ने कहा कि वह इसकी जांच करेगा कि क्या करोड़ों रुपए के के बकाएऋण का खुलासा किया जा सकता है. साथ ही इसने इस मामले जुड़े पक्षों सेविभिन्न मामलों को उन विभिन्न मुद्दों को निर्धारित करने को कहा जिन पर बहस हो सकती है.

पीठ ने इस मामले में जनहित याचिका का दायरा बढ़ा कर वित्त मंत्रालय और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को भी इस मामले में पक्ष बना दिया है. इस पर अगली सुनवाई की तारीख 26 अप्रैल को होगी.

यह याचिका स्वयंसेवी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिमिटेड (सीपीआइएल) ने 2003 में दायर की थी. पहले इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के आवास एवं नगर विकास निगम (हुडको) द्वारा कुछ कंपनियों को दिए गएऋणका मुद्दा उठाया गया था. याचिका में कहा गया है कि 2015 में 40,000 करोड़ रुपए केऋण को बट्टे-खाते में डाला गया था.

न्यायालय ने रिजर्व बैंक से छह सप्ताह में उन कंपनियों की सूची मांगी है जिनकेऋणों को कंपनीऋण पुनर्गठन योजना के तहत पुनर्निधारित किया गया है. पीठ ने इस बात पर हैरानी जतायी कि पैसा न चुकाने वालों से वसूली के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए.

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