वाशिंगटन: विश्वबैंक की एक सपट के अनुसार विदेशों से मनीआर्डर के जरिए धन प्राप्त करने के मामले में भारत 2015 में भी सबसे उपर रहा हालांकि वर्ष के दौरान इस स्रोत से प्राप्त रकम करीब एक अरब डॉलर कम रही. भारत को मिलने वाले मनीआर्डर में 2009 के बाद यह पहली गिरावट है.
आव्रजन एंव विकास पर विश्वबैंक की आज जारी वार्षिक रपट ‘माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ रपट में बताया गया है कि भारत को वर्ष 2015 में करीब 69 अरब डॉलर का मनीऑर्डर मिला जो अन्य देशों से अधिक है. हालांकि देश को वर्ष 2014 में 70 अरब डॉलर के मनीआर्डर मिले थे. वर्ष 2015 में चीन को करीब 64 अरब डॉलर, फिलीपींस को 28 अरब डॉलर, मेक्सिको को 25 अरब डॉलर और नाईजीरिया को 21 अरब डॉलर का मनीऑर्डर प्राप्त हुआ.
विश्वबैंक की रपट के अनुसार, ‘‘दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सबसे बडी अर्थव्यवस्था और विश्व में सर्वाधिक मनीऑर्डर पाने वाले देश भारत को मिलने वाले मनीऑर्डर में वर्ष 2015 में 2.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है और 2009 के बाद यह पहली मर्तबा है जब इसमें गिरावट आयी है.’
रपट के अनुसार मनीआर्डर की वृद्धि दर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का खाडी देशों से भेजे जाने वाले मनीआर्डर पर असर झलकता है. इसके अलावा मीनीआर्डर भेजने वाले देशों की मुद्राओं : जैसे कि यूरो, कनाडाई डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर: की विनिमय दर में अमेरिकी डॉलर के समक्ष गिरावट का भी असर हो सकता है.
इसी बीच नेपाल को भेजे जाने वाले मनीऑर्डर में भूकंप आने के कारण नाटकीय रुप से वृद्धि दर्ज की गई। यह वर्ष 2015 में 20.9 प्रतिशत रही जबकि 2014 में यह 3.2 प्रतिशत रही थी.रपट में बताया गया है कि कुछ देशों के लिए विदेशों से आने वाला मनीऑर्डर अति महत्वपूर्ण हैं. पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश को 2014 में मिली मनीऑर्डर की राशि उनके सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: के छह प्रतिशत से भी अधिक रही.
रपट के अनुसार भारत में नए भुगतान बैंकों को मंजूरी, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों से मनीऑर्डर प्राप्त करने में लगने वाली कीमत को कम करने के लिए नए स्टार्टअप के शुरू करने की क्षमता और पर्यावरण बेहतर हुआ है.
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