बंदरगाहों के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये का निवेश जुटाएगी सरकार: पीएम मोदी

मुंबई: भारत में समुद्री बंदरगाहों के विकास के लिए एक लाख करोड रुपये के निवेश के अवसरों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज निवेशकों से वादा किया कि वह उनके ‘सुकून, सुरक्षा व संतुष्टि’ का व्यक्तिगत रुप से ध्यान रखेंगे ताकि देश के 7,500 किलोमीटर लंबे समुद्री तट को ‘आर्थिक वृद्धि के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 14, 2016 9:49 PM

मुंबई: भारत में समुद्री बंदरगाहों के विकास के लिए एक लाख करोड रुपये के निवेश के अवसरों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज निवेशकों से वादा किया कि वह उनके ‘सुकून, सुरक्षा व संतुष्टि’ का व्यक्तिगत रुप से ध्यान रखेंगे ताकि देश के 7,500 किलोमीटर लंबे समुद्री तट को ‘आर्थिक वृद्धि के इंजन’ का रुप दिया जा सके. मोदी ने कहा कि सरकार देश की बंदरगाह क्षमता 2025 तक दोगुने से भी अधिक कर तीन अरब टन तक पहुंचाना चाहती है और ‘इस वृद्धि को मूर्त रुप देने के लिए बंदरगाह क्षेत्र में एक लाख करोड रुपये का निवेश जुटाना चाहती है. ‘ मोदी ने यहां पहले सामुद्रिक भारत सम्मेलन (एमआईएस) का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही.

उन्होंने कहा,‘भारत में आने का यह सही समय है. समुद्री मार्ग के जरिए आने का यह और भी बेहतर समय है. भारतीय जहाज लंबी यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इससे चूके नहीं. इससे चूकने का मतलब एक आरामदेय यात्रा और महान गंतव्य से चूकना है. ‘ इस अवसर पर उन्होंने मई 2014 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से बंदरगाह व पोत परिवहन क्षेत्र के लिए उठाए गए सुधारात्मक कदमों का जिक्र किया. उन्होंने कहा,‘ यह शुरुआत भर है. हम और बहुत कुछ करना चाहते हैं.

मोदी ने कहा,‘ हम अपनी कार्यान्वयन की अपनी क्षमताओं को बढा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि व्यापार की बढती मांग को पूरा करने के लिए पांच नए बंदरगाहों की योजना है जो तेजी से वृद्धि दर्ज करती भारतीय अर्थव्यवस्था में बढोतरी के अनुरुप है. उन्होंने कहा कि भारत के कई तटीय राज्यों में नए बंदरगाह बनाए जा रहे हैं.उन्होंने कहा,‘ बीते दो साल में प्रमुख बंदरगाहों ने 56 नई परियोजनाएं दी हैं जिनमें 250 अरब डालर से अधिक का निवेश होगा. इससे बंदरगाहों के लिए 31.7 करोड टन सालाना की अतिरिक्त क्षमता बनेगी.
‘ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सोच 2025 तक अपने बंदरगाहों की क्षमता मौजूदा 140 करोड टन से बढाकर 300 करोड़ टन करने की है. हम इसके लिए बंदरगाह क्षेत्र में एक लाख करोड रपए का निवेश जुटाना चाहते है ताकि इस वृद्धि को मूर्त रुप दिया जा सके.” भारत के गौरवशाली सामुद्रिक इतिहास का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार और बेहतर सामुद्रिक भविष्य को रूप देने की राह पर है. मोदी ने निवेशकों से कहा,‘.. एक बार यहां आएंगे तो मैं आपको आश्वस्त करना हूं कि मैं व्यक्तिगत तौर पर आपका ध्यान रखूंगा कि आप सुरक्षित और संतुष्ट रहें. ‘ मोदी ने कहा कि सात प्रतिशत से अधिक की जीडीपी वृद्धि दर के बीच भारत आज सबसे तेजी से बढती प्रमुख अर्थव्यवस्था है. उन्होंने कहा कि ‘वृद्धि की प्रक्रिया तेज व समावेशी हो’ यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार आक्रामक कदम उठा रही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा निवेश के बडे अवसरों को पेश करती है. उन्होंने वैश्विक कारोबारी समुदाय से बंदरगाह आधारित विकास की प्रक्रिया को आकार देने के लिए भारत के साथ भागीदारी करने का आह्वान किया.उन्होंने कहा,‘ मुझे पूरा भरोसा है कि विविध तटीय इलाकों व कठिन परिश्रम करने वाले तटीय समुदायों के साथ भारत की लंबी समुद्री सीमा देश के लिए वृद्धि का इंजिन बन सकती है. ‘ इस क्षेत्र में सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सीमा पारीय व्यापार को सरल तथा लाइसेंसिंग प्रणाली को उदार बनाया गया है. उन्होंने कहा कि लगभग 60 प्रतिशत रक्षा उत्पादों को लाइसेंस प्रक्रिया से अलग कर दिया गया और ज्यादातर एफडीआई क्षेत्रों को स्वत: मंजूरी प्रणाली के तहत किया गया है.
शिपयार्ड को बंदरगाह की तरह ही बुनियादी ढांचे का दर्जा दिया गया है तटीय पोत परिवहन पर सेवा कर में छूट को बढाकर 70 प्रतिशत किया गया है. इसी तरह जहाज बनाने के काम आने वाली सामगी्र पर सीमा शुल्क व केंद्रीय उत्पाद शुल्क में छूट दी गई है.
इसी तरह जहाज निर्माण को बढावा देने के लिए वित्तीय मदद की एक योजना को मंजूरी दी गई. नाविकों के कर मुद्दों को सुलझा लिया गया है.
मोदी ने कहा कि सामुद्रिक क्षेत्र को अलग थलग रखकर कोई भी देश इच्छित परिणाम हासिल नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि सागरमाला कार्यक्रम का लक्ष्य देश की लंबे समुद्री तट व प्राकृतिक सामुद्रिक विशिष्टताओं का दोहन करना है.मोदी ने कहा कि जहाजरानी व सामुद्रिक सुरक्षा को बढावा देने के लिए भारत अपने निकट पडोसी व क्षेत्रीय पडोसियों के साथ भागीदारी कर रहा है. भारत ने बांग्लादेश के साथ तटीय जहाजरानी समझौता किया है. वह ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास में भी शामिल है.
उन्होंने कहा,‘ विदेशों में सामुद्रिक परियोजनाओं के लिए इंडिया पोर्टर्स ग्लोबल लिमिटेड के नाम से एक विशेष उद्देश्यीय कंपनी बनाई गई है.’ अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से स्पष्ट हुआ है कि अपतटीय मानव व्यवहार भी ग्लेशियर और महासागरों की पारिस्थितिकी में बदलाव ला सकता है. इससे द्वीपीय देशों और विशेष तौर पर तटीय समुदायों में चिंता पैदा हो रही है.

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