नयी दिल्ली: ट्रेड यूनियनों ने भविष्य निधि :ईपीएफ: जमा पर ब्याज दर को कम कर 8.7 प्रतिशत करने के वित्त मंत्रालय के फैसले के खिलाफ आगामी शुक्रवार को देश व्यापी विरोध प्रदर्शन करने फैसला किया है. ईपीएफओ ने इसके लिये 8.8 प्रतिशत ब्याज रखे जाने की सिफारिश की थी. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है, ‘‘कर्मचारियों के खिलाफ सरकार के इस तरह के अहंकारी रख की आलोचना करते हुये केंद्रीय ट्रेड यूनियनें कर्मचारियों और कामगारों तथा सभी ट्रेड यूनियनों, चाहे वह किसी भी समूह से जुडी हैं, से इस कदम के खिलाफ 29 अप्रैल 2016 को देशभर में धरना, प्रदर्शन और बैठकें करने का आह्वान करती हैं.”
यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस और ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनिय सेंटर आदि शामिल हैं. हालांकि, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडे भारतीय मजदूर संघ :बीएमएस: ने विरोध प्रदर्शन से अपने आप को अलग रखा है. बीएमएस महासचिव वृजेश उपाध्याय से जब इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘बीएमएस कल देशव्यापी प्रदर्शन करेगा.
वक्तव्य में कहा गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि :ईपीएफ: पर ब्याज दर के बारे में केंद्रीय न्यासी बोर्ड :सीबीटी: के आम सहमति से लिये गये फैसले को नजरंदाज करते हुये 8.8 प्रतिशत से घटाकर 8.7 प्रतिशत करने के एकतरफा कटौती का यूनियनें पूरे जोरशोर के साथ विरोध करतीं हैं. सीबीटी श्रम मंत्रालय के तहत काम करती है और यह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन :ईपीएफओ: की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘16 फरवरी 2016 को श्रम मंत्री (बंडारू दत्तात्रेय) की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीबीटी ने आम सहमति से ईपीएफ पर ब्याज दर को 8.8 प्रतिशत रखने का फैसला किया.
यह निर्णय अंतरिम व्यवस्था के तौर पर लिया गया और संकेत दिया गया कि ईपीएफ कोष की स्थिति को देखते हुये बाद में इसे बढाया भी जा सकता है.” वित्त मंत्रालय ने बाद में ब्याज दर को कम कर 8.7 प्रतिशत करने का फैसला किया और ऐसा करते हुये सीबीटी से विचार विमर्श नहीं किया. भविष्य निधि जमा पर वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिये 8.75 प्रतिशत ब्याज तय किया गया था। ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि वित्त मंत्रालय ने ब्याज दर के मामले में सीबीटी के फैसले के ऊपर अपना फैसला थोपा है.
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