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अच्छे मानसून से है ”मोदी सरकार” को उम्मीदें

नयी दिल्ली : अच्छे मानसून की भविष्यवाणी से केंद्र सरकार को काफी उम्मीदें हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में अच्छे मानसून से आर्थिक वृद्धि दर में और तेजी की उम्मीद जतायी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि विश्वभर में छायी मंदी के बावजूद भारत सबसे तेज गति से बढने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2016 2:03 PM

नयी दिल्ली : अच्छे मानसून की भविष्यवाणी से केंद्र सरकार को काफी उम्मीदें हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में अच्छे मानसून से आर्थिक वृद्धि दर में और तेजी की उम्मीद जतायी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि विश्वभर में छायी मंदी के बावजूद भारत सबसे तेज गति से बढने वाली अर्थव्यवस्था है तथा सरकार ग्रामीण क्षेत्र, रोजगार सृजन को बढाने और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने को प्राथमिकता दे रही है.

जेटली ने लोकसभा में कहा कि 2014-15 में हमारी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत थी और 2015-16 में यह 7.6 प्रतिशत रही. हम तेज गति से आगे बढ रहे हैं. भारत दुनिया में सबसे अधिक तेज गति से बढने वाली अर्थव्यवस्था है. विश्व की तुलना में हम सबसे आगे हैं. लेकिन हम स्वयं मानते हैं कि हममे और अधिक क्षमता है. ” उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षो में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रहने में वैश्विक मंदी की बाधाकारी स्थिति और बरसात की कमी प्रमुख कारण रहा क्योंकि बरसात की स्थिति का ग्रामीण हालात पर प्रभाव पडता है और 55 प्रतिशत लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होती है. वैश्विक बाधाकारक तत्वों के कारण इस दौरान निर्यात में भी गिरावट आई.

जेटली ने कहा, ‘‘ इस बार मानसून और अच्छी बरसात का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है. बरसात अच्छी होगी तब कृषि क्षेत्र में सुधार आता है और जीडीपी बेहतर होती है. बरसात अच्छी होगी तो वृद्धि दर बेहतर होगी।” जेटली ने स्वर्ण आभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने के प्रस्ताव को वापस लेने से इंकार किया हालांकि उन्होंने कहा कि यह सुनिश्वित किया जायेगा कि किसी को परेशान नहीं किया जाए। इस बारे में लाहिडी समिति गठित की गई है जो अपने सुझाव सरकार को देगी। वित्त मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने वित्त विधेयक 2016..17 को मंजूरी दे दी. इसमें पांच सरकारी संशोधनों को भी मंजूरी दी गई। इस तरह से बजट की आखिरी प्रक्रिया पूरी हो गई. वित्त मंत्री ने कृषि आय पर कर लगाने से भी इंकार किया और कहा कि कृषि पहले से ही दबाव की स्थिति में है. और कृषि क्षेत्र का विषय केंद्र के दायरे में नहीं आता है और यह राज्य का विषय है. उन्होंने राज्य सरकारों से भी आग्रह किया कि इस संबंध में कर लगाने के बारे में फिलहाल नहीं सोचें.

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