रिलायंस जियो को छोडकर सभी दूरसंचार कंपनियां एक समान SUC के पक्ष में
नयी दिल्ली : रिलायंस जियो को छोडकर सभी दूरसंचार कंपनियों ने समान स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) का समर्थन किया है लेकिन उनका कहना है कि प्रस्तावित 4.5 प्रतिशत शुल्क से उद्योग पर अतिरिक्त बोझ पडेगा. सेल्यूलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) ने यह जानकारी दी. डेलायट के अध्ययन का हवाला देते हुए सीओएआई ने कहा […]
नयी दिल्ली : रिलायंस जियो को छोडकर सभी दूरसंचार कंपनियों ने समान स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) का समर्थन किया है लेकिन उनका कहना है कि प्रस्तावित 4.5 प्रतिशत शुल्क से उद्योग पर अतिरिक्त बोझ पडेगा. सेल्यूलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) ने यह जानकारी दी. डेलायट के अध्ययन का हवाला देते हुए सीओएआई ने कहा कि एसयूसी में एक प्रतिशत की कटौती से जीडीपी में करीब 1.76 लाख करोड रुपये का इजाफा हो सकता है तथा गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 4.7 प्रतिशत की कमी हो सकती है.
सीओएआई के सदस्यों में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्यूलर जैसी कंपनियां शामिल हैं. सीओआईए के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने दूरसंचार सचिव जे एस दीपक को लिखे पत्र में कहा है, ‘एक दूरसंचार सेवा प्रदाता को छोडकर पूरे उद्योग का मानना है कि एक समान शुल्क से न केवल समान अवसर पैदा होंगे बल्कि अस्पष्टता दूर होगी.’ रिलायंस जियो भी सीओएआई का सदस्य है लेकिन मामले में उसका विचार अलग है.
दूरसंचार कंपनियां विभिन्न स्पेक्ट्रम बैंक 800 मेगाहर्ट्ज (2जी, 4जी), 900 मेगाहर्ट्ज (2जी, 3जी, 4जी), 1800 मेगाहर्ट्ज (2जी, 4जी), 2100 मेगावार्ट्ज (3जी) तथा 2500 मेगाहर्ट्ज (4जी) का इस्तेमाल करती हैं. सूत्रों के अनुसार दूरसंचार विभाग में तकनीकी समिति ने सभी कंपनियों पर समान रुप से 4.5 प्रतिशत एसयूसी लगाने का सुझाव दिया है क्योंकि 4जी जैसी सेवा के लिये किसी खास स्पेक्ट्रम से उनकी कमाई के बारे में पता लगाना संभव नहीं है.
फिलहाल सरकार मोबाइल फोन सेवाओं के उपयोग से कंपनियों को होने वाली आय का करीब 4.69 प्रतिशत एसयूसी के रूप में लेती है. अंतर-मंत्रालयी समूह दूरसंचार आयोग ने मामले में कानूनी राय लेने का निर्णय किया है और अगली बैठक में तकनीकी समिति की रिपोर्ट के साथ इस पर चर्चा करेगा.
सीओएआई ने डेलायट की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि एसयूसी में एक प्रतिशत की कटौती से जीडीपी में करीब 1.76 लाख करोड रुपये का इजाफा हो सकता है तथा गरीबी रेखा के नीचे रहले वाले लोगों की संख्या में 4.7 प्रतिशत की कमी हो सकती है. साथ ही एसयूसी में एक प्रतिशत में कटौती से अर्थव्यवस्था में करीब 58,000 करोड रुपये के निवेश में वृद्धि, 28,000 करोड रुपये का कर राजस्व तथा 2.3 करोड कनेक्शन के साथ 3जी के ग्राहकों की संख्या में विस्तार हो सकता है.
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