वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत:मायाराम
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत पर बल दिया, क्योंकि ब्याज दरों का खाद्य मुद्रास्फीति पर कोई असर नहीं होगा.उन्होंने कहा ‘‘मैं रिजर्व बैंक के संबंध में कोई और अनुमान नहीं लगाना चाहूंगा. जो भी सुन […]
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत पर बल दिया, क्योंकि ब्याज दरों का खाद्य मुद्रास्फीति पर कोई असर नहीं होगा.उन्होंने कहा ‘‘मैं रिजर्व बैंक के संबंध में कोई और अनुमान नहीं लगाना चाहूंगा. जो भी सुन सकता हो मैं उससे अपील करुंगा कि उन्हें वृद्धि के पक्ष में होना चाहिए और इसके आधार पर फैसला करना चाहिए.’’ राजन के नेतृत्व में रिजर्व बैंक ने सितंबर से लेकर अब तक मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए दो बार ब्याज दरें बढ़ाई और 28 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा आने वाली है.
रिजर्व बैंक को हालांकि औद्योगिक उत्पादन में संकुचन और बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच नीतिगत पहल पर फैसला करने में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. नवंबर में औद्योगिक उत्पादन 2.1 प्रतिशत घटा जो छह महीने के न्यूनतम स्तर है जबकि थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इसी माह के 14 महीने के उच्चतम स्तर 7.52 प्रतिशत पर रही.मायाराम ने कहा कि खाद्य उत्पादों की मांग स्थिर है और इस पर ब्याज दरों की गतिविधि का असर नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि खाद्य मुद्रास्फीति ब्याज दरों में बढ़ोतरी का बहुत असर होगा लेकिन जहां तक दूसरी मुद्रास्फीति का सवाल है तो इस पर हो सकता.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए शुद्धतावादी सिद्धांत है कि यदि ब्याज दरें बढ़ेंगी, तो मांग घट जाती है. हमें ऐसे प्रमाण नहीं मिले. पिछले चार साल में रिजर्व बैंक ने 24-25 बार नीतिगत दरों में बढ़ोतरी की लेकिन इसका खाद्य मुद्रास्फीति पर कोई असर नहीं हुआ. इसलिए हमारे पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं कि ऐसा होता है.’’ खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर में 19.93 प्रतिशत रही जो मुख्य तौर पर सब्जियों की कीमत से प्रभावित रही जिसमें 95.25 प्रतिशत का इजाफा हुआ.
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