ट्राइ के काॅल ड्राॅप संबंधी नियम को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, बताया अतर्कसंगत

नयीदिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज ट्राइ के काॅल ड्राॅप के संबंध में दूरसंचार कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के नियम को खारिज करते हुए कहा कि यह मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी है. न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा, ‘‘हमने इस रद्द नियम को अधिकार क्षेत्र से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2016 11:22 AM

नयीदिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज ट्राइ के काॅल ड्राॅप के संबंध में दूरसंचार कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के नियम को खारिज करते हुए कहा कि यह मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी है.

न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आरएफ नरीमन की पीठ ने कहा, ‘‘हमने इस रद्द नियम को अधिकार क्षेत्र से बाहर, मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी करार दिया.” उच्चतम न्यायालय ने भारत के एकीकृत दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस जैसे 21 दूरसंचार परिचालकों के संगठन सीओएआइ द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया. इस याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दीगयी थी जिसने ट्राइ के इस साल जनवरी से काॅल ड्राॅप के संबंध में उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के फैसले को उचित ठहराया था.

दूरसंचारकंपनियों ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय से कहा था कि पूरा क्षेत्र भारी-भरकमऋण से दबा है और उन्हें स्पेक्ट्रम के लिएबड़ी राशि का भुगतान करना है इसलिए काॅलड्रॉप को बिल्कुलबरदास्त न करने का नियम उन पर लागू नहीं किया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, कॉल ड्राॅप के लिए अनेकों कारण जिम्मेवार होते हैं और यह तकनीकी समस्या है. जैसे, टॉवर लगाने की उन्हें अनुमति नहीं मिलना, दूसरा स्पेक्ट्रम की विदेशों की तरह सुविधा नहीं होना आदि.कंपनियों ने तर्क दिया था कि वायरलेस तकनीक में पूरी दुनिया में कॉल ड्रॉप की समस्या होती है. कंपनियों का कहना था कि उन्हें दो प्रतिशत कॉल ड्रॉप की अनुमति होती है.

कंपनियों ने भारतीय दूरसंचार प्राधिकार (ट्राइ) के इस आरोप को खारिज किया कि वे भारी-भरकम मुनाफा कमाती हैं. दूरसंचार कपंनियों ने कहा कि उन्होंने बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया हुआ है.

ट्राइ ने न्यायालय से कहा था कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के वास्ते वह काॅल ड्राॅप के लिए दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा क्योंकि सेवा प्रदाता उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार नहीं हैं.

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