नयी दिल्ली: ऊंची खाद्य कीमतों के चलते खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में बढकर 5.39 प्रतिशत हो गयी. इस तरह से मुद्रास्फीति में पिछले कई महीनों से गिरावट का क्रम थम गया.थोक मूल्य सूचकांक आधारित मूल्य वृद्धि की सालाना दर इससे पिछले महीने 4.38 प्रतिशत रही जो कि छह महीने में सबसे कम थी. अप्रैल 2015 में यह दर 4.87 प्रतिशत रही थी.
मुद्रास्फीति में बढोतरी से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में किसी और वृद्धि की गुंजाइश घट सकती है. हालांकि औद्योगिक उत्पादन वृद्धि में भारी गिरावट के चलते मौद्रिक नीति में नरमी की मांग बनी रह सकती है.सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन द्वारा आज जारी आंकडों के अनुसार अप्रैल महीने में खाद्य मुद्रास्फीति 6.32 प्रतिशत रही जो कि मार्च में 5.21 प्रतिशत थी.
अप्रैल में सब्जियों के दाम 4.82 प्रतिशत बढे जबकि फल 1.66 प्रतिशत महंगे हुए. आमतौर पर गर्मियों के सीजन में फल, सब्जियां तथा तैयार भोजन महंगा होता है. आलोच्य महीने में ‘अनाज व उत्पादों’ में मुद्रास्फीति 2.43 प्रतिशत पर स्थिर रही जबकि ‘मांस व मछली’ श्रेणी में बढकर 8.07 प्रतिशत हो गयी. यह तेल व वसा श्रेणी के लिए 5.04 प्रतिशत रही.
इसी तरह आलोच्य महीने में अंडा तथा ‘दाल व उत्पाद’ श्रेणी में मूल्य वृद्धि दर क्रमश: 6.64 प्रतिशत व 34.13 प्रतिशत रही. ईंधन व बिजली की मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत घटकर 3.03 प्रतिशत हो गयी.सरकार के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की फील्ड परिचालन शाखा विभिन्न चुनींदा कस्बों में मूल्य के आंकडे लेती है. वहीं गांवों से ये आंकडे चुनींदा डाकघरों के जरिए लिए जाते हैं.
आईडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा,‘ रिजर्व बैंक के लिहाज से… उन्होंने देखना होगा कि भावी आंकडे कैसे रहते हैं और उसी के आधार पर वह (आगामी नीतिगत बैठक में ब्याज दरों में कटौती के बारे में) फैसला करेगा.
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