7th Pay Commission DA Hike Big Update: मोदी सरकार की तरफ से सरकारी कर्मचारियों / पेंशनभोगियों के के मतलब का बड़ा अपडेट आया है. सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) और महंगाई राहत (Dearness Relief) बढ़ोतरी पर राज्यसभा में बड़ी बात कही है. केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में इससे जुड़े एक सवाल का जवाब दिया है.
राज्यसभा में मंगलवार 2 अगस्त को लिखित प्रश्न संख्या 1806 में नारणभाई राठवा में डीए/डीआर में वृद्धि पर सवाल किया- क्या वित्त मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या यह सच है कि थोक मुद्रास्फीति 30 वर्ष के उच्च स्तर 15.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जिसके परिणामस्वरूप थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूेपीआई) में भी उछाल आया है और संभावित संकेत इस बात के हैं कि मुद्रास्फीति कारक ऊर्ध्वमुखी दबाव बना रहेगा. इसके जवाब में वित्त मंत्रालय में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा- जी हां. थोक मूल्य सूचकांक के अनुसार, मई 2022 के माह में मुद्रास्फीति 15.88 प्रतिशत दर्ज की गई है जो पिछले 30 वर्षों (अप्रैल, 1992 से) में सबसे अधिक है. तथापि, मुद्रास्फीति की उपर्युक्त दर अब घटकर जून, 2022 माह में 15.18 प्रतिशत हो गई हैं. इसका ब्यौरा अनुबंध-I में दिया गया है.
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राज्यसभा सांसद नारणभाई राठवा का दूसरा सवाल था- क्या बढ़ते थोक मूल्य सूचकांक के बावजूद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत में केवल तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और यदि हां, तो इसके क्या कारण हैं; और क्या सरकार बढ़े हुए थोक मूल्य सूचकांक पर विचार करते हुए सरकारी कर्मचारियों / पेंशनभोगियों को दिए जानेवाले डीए/डीआर की अगली किस्त की संस्वीकृति प्रदान करते समय उच्च दरों पर डीए/डीआर संस्वीकृत करेगी और यदि नहीं तो, इसके क्या कारण हैं?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इसके जवाब में कहा- जी नहीं. केंद्र सरकार के कर्मचारियों / पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) महंगाई राहत (डीआर) की संगणना मुद्रास्फीति संबंधी थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर नहीं की जाती है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों / पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता/महंगाई राहत की संगणना श्रम ब्यूरो (शिमला), श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी किये गए औद्योगिक कामगारों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई-आईडब्ल्यू) के अनुसार मुद्रास्फीति की दर के आधार पर की जाती है.
महंगाई भत्ते का मतलब है कि सरकार, महंगाई के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कर्मचारी के मूल वेतन के एक प्रतिशत के रूप में अपने पेंशनभोगियों, कर्मचारियों को भुगतान करती है. साल में दो बार, यानी जनवरी और जुलाई में इसकी गणना होती है. शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से डीए अलग-अलग होता है. बढ़ती महंगाई की वजह से इसे बढ़ाना पड़ता है.