मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से भारत बना सबसे तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था : जेटली
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज कहा कि उद्योग धंधों को बढ़ावा देने वाली मोदी सरकार की अनुकूल आर्थिक नीतियों से भारत आज दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है और इस साल अच्छे मानसून का पूर्वानुमान साकार होने से यह और अधिक तेज गति से वृद्धि […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज कहा कि उद्योग धंधों को बढ़ावा देने वाली मोदी सरकार की अनुकूल आर्थिक नीतियों से भारत आज दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है और इस साल अच्छे मानसून का पूर्वानुमान साकार होने से यह और अधिक तेज गति से वृद्धि दर्ज करेगी.
जेटली ने कहा कि आने वाले तीनवर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की इस गति में कोई कमी नहीं आने दी जायेगी. उन्होंने कहा कि विश्वभर में छायी सुस्ती के बावजूद भारत आज सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन :राजग: सरकार ग्रामीण क्षेत्र, रोजगार सृजन और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने को प्राथमिकता दे रही है. मोदी सरकार की दो साल की उपलब्धियों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा, ‘‘हमारी सरकार आने से पहले 10 साल में :पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में: जो कुछ हो रहा था, वह आपके सामने है. तब लोग नीतिगत पंगुता की बात कर रहे थे और हमारी सरकार :राजग: के सत्ता में आने के बाद वही लोग भारतीय अर्थव्यवस्था को सबसे तेज गति से बढने वाली अर्थव्यवस्था बता रहे हैं.’ जेटली ने यहां ‘इंडियन वुमन प्रेस कोर’ में आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत अभी 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ आगे बढ़ रहा है. हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं. भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है.’
पिछले दो वर्षो में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत
जेटली ने कहा कि पिछले दो वर्षो में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रही. दुनिया के अनेक विकसित देशों में छाई सुस्ती और लगातार दो साल खराब मानसून के बावजूद भारत ने यह वृद्धि हासिल की है. मानसून कमजोर रहने से ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ता है. लोगों की क्रय शक्ति प्रभावित होती है. वैश्विक सुस्ती से घरेलू कारोबार और निर्यात प्रभावित होता है. जेटली ने कहा, ‘‘इस बार सामान्य मानसून और अच्छी बरसात का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है. दो वर्ष केे सूखे के बाद अच्छी बरसात होगी जिससे कृषि क्षेत्र में सुधार आयेगा. ग्रामीण आय एवं क्रयशक्ति बेहतर होगी. अभी तक के संकेत सकारात्मक हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि आज बैंकिंग क्षेत्र सबसे ज्यादा दबाव वाला क्षेत्र है. बैंकों केऋण देने की क्षमता बढ़ना महत्वपूर्ण है, इसमें सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए वक्त का तकाजा है कि जिस क्षेत्र में मंदी हो, उस क्षेत्र में अधिक सरकारी धन डालें. जीएसटी का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि सैद्धांतिकरूप से इसको लेकर कहीं मतभेद नहीं है. कांग्रेस समेत हर राजनीतिक दल इसके पक्ष में है. ‘‘कांग्रेस को तो और आगे बढ़ कर जीएसटी का समर्थन करना चाहिए क्योंकि इसका मूल विचार उन्हीं का था.’
उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक को छोड़ हर क्षेत्रीय दल जीएसटी का समर्थन कर रहा है. जदयू, सपा, बसपा, बीजद, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक जैसे दल जीएसटी के समर्थन में हैं. सूखे से निपटने को लेकर सरकार की पहल के बारे में जेटली ने कहा कि यह विषय राज्य के दायरे में आता है. हालांकि, इससे निपटने के लिए धन काबड़ा हिस्सा केंद्र से आता है. पिछले एक वर्ष में आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र ने राज्यों को काफी धन दिया है और यह अब तक की सबसे अधिक राशि है. प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए धन आवंटन के बारे में केंद्र और राज्यों के बीच फार्मूला तय है, इसी के तहत धन आवंटित किया गया है.
सूखा से निबटने का संस्थागत तंत्र मौजूद
सूखे से निपटने के लिए राज्यों को और आवंटन देने के बारे में जेटली ने कहा कि सूखे या प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आवंटन का संस्थागत तंत्र है. इस बारे में कानून संसद में बनाये जाते हैं. कानून के तहत ही हम राष्ट्रीय आपदा राहत कोष :एनडीआरएफ: के जरिये राज्यों को कोष आवंटित करते हैं. सरकार ने पिछले एक वर्ष में पर्याप्त आवंटन किया है.
कालेधन पर वित्त मंत्री ने कहा कि इससे पहले किसी सरकार ने इस पर इतना काम नहीं किया, जितना काम हमारी सरकार ने किया. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ लोग जो कालाधन को लेकर निशाने पर आये हैं, वे अब तर्क दे रहे हैं कि ऐसे कदमों से अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संबंधों में कड़वाहट के बारे में पूछे एक सवाल पर जेटली ने कहा, ‘‘मैं नहीं समझता कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच मतभेद कोईनयी बात है जिसे आप :मीडिया: कड़वाहट कहते हैं. मैं मानता हूं कि राजनीतिक मतभेद रहने के बावजूद भी सभ्य आचरण और भाषा महत्वपूर्ण कारक है. क्योंकि अंतत: कोईव्यक्तिगत बात नहीं होती है.’ बिहार और झारखंड में पत्रकारों की हत्या के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि इसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए.
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