सुरक्षा एजेंसी के क्रैस टेस्ट में भारत के इन 5 कारों को 0 रेटिंग
नयी दिल्ली : भारत में पांच लोकप्रिय कार माडल- मारुति की सेलेरियो और ईको, रेनो की क्विड, महिंद्रा की स्कॉर्पियो तथा हुंदै की इयान – सुरक्षा समूह ग्लोबल एनसीएपी के ‘क्रैश परीक्षण’ यानी दुर्घटना परीक्षण में फेल हो गए हैं. इन माडलों को शून्य स्टार रेटिंग्स दी गयी है. हालांकि, इन कंपनियों ने परीक्षण के […]
नयी दिल्ली : भारत में पांच लोकप्रिय कार माडल- मारुति की सेलेरियो और ईको, रेनो की क्विड, महिंद्रा की स्कॉर्पियो तथा हुंदै की इयान – सुरक्षा समूह ग्लोबल एनसीएपी के ‘क्रैश परीक्षण’ यानी दुर्घटना परीक्षण में फेल हो गए हैं. इन माडलों को शून्य स्टार रेटिंग्स दी गयी है. हालांकि, इन कंपनियों ने परीक्षण के नतीजों का विरोध किया है. ब्रिटेन के समूह ने पांच माडलों का परीक्षण किया. इनमें मारुति सुजुकी की वैन ईको शामिल हैं. इन वाहनों की बिक्री भारत में की जाती है. इन वाहनों में बालिगों की जगह पर कम स्तर की सुरक्षा पाई गई.
ग्लोबल एनसीएपी ने बयान में कहा, ‘ग्लोबल एनसीएपी के ताजा भारतीय क्रैश परीक्षण के नतीजे आज दिल्ली में जारी किए गए. ये निराशाजनक हैं. सभी पांचों माडलों को जीरो स्टार रेटिंग मिली है.’ परीक्षण के नतीजों पर ग्लोबल एनसीएपी के महासचिव डेविड वार्ड ने कहा कि इन नतीजों से पता चलता है कि कारों की बॉडी शेल कितना महत्वपूर्ण है, जो दुर्घटना की स्थिति में स्थिर या कायम रहे. ग्लोबल एनसीएपी ने कहा कि यह कार सवारों की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण जरुरत है.
कम से कम इनमें फ्रंट एयर बैग्स होने चाहिए. वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने इन निष्कर्षों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ग्लोबल एनसीएपी के परीक्षण 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर किए गए हैं. वहीं यूरोप और अमेरिका जहां सबसे आधुनिक सुरक्षा मानदंड हैं, वहां भी परीक्षण 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर किए जाते हैं. भारत भी 2017 से इन्हीं मानदंडों को अपना रहा है.
सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर सुरक्षा मानदंड राष्ट्रीय सरकारों द्वारा तय किए जाते हैं और कंपनियों को इन नियमों का अनुपालन करना होता है. भारत भी 2017 से इन दुर्घटना परीक्षण मानदंडों को अपनाने जा रहा है, जो कि 56 किलोमीटर की रफ्तार पर किए जाते हैं. फिलहाल भारत में बिकने वाले वाहन सरकार द्वारा तय नियमनों को पूरा करते हैं.’
उन्होंने कहा कि ग्लोबल एनसीएपी मानदंड तय करने वाला निकाय नहीं है. यह निजी एनजीओ है जो वाहनों का परीक्षण करता है. उसने अपना बेंचमार्क बनाया हुआ है. यह एक व्यावसायिक उपक्रम हैं जो उन कंपनियों को स्टार रेटिंग्स प्रदान करता है जो विपणन के उद्देश्य से उससे संपर्क करती हैं. माथुर ने कहा कि ग्लोबल एनसीएपी ने वाहनों का परीक्षण 64 किलोमीटर की रफ्तार पर करने का कोई तर्क नहीं बताया है. भारत में वास्तविक औसत गति इससे कहीं कम होती है.
बिना एयरबैक की मारुति सुजुकी सेलेरियो के बारे में ताजा परीक्षण में ग्लोबल एनसीएपी ने कहा है कि बालिगों के बैठने के स्थान पर इसे शून्य स्टार रेटिंग मिली है जबकि बच्चों की सुरक्षा के मामले में एक स्टार रेटिंग दी गई है. कंपनी की बिना एयरबैग की ईको को बालिगों के मामले में शून्य स्टार रेटिंग तथा बच्चों के लिए एक स्टार रेटिंग दी गई है. इस पर अपनी प्रतिक्रिया में मारति सुजुकी ने जोर देकर कहा कि उसके सभी उत्पाद सुरक्षित हैं और भारत में सुरक्षा मानदंडों को पूरा करते हैं.
कुछेक मामलों में ये उससे बेहतर हैं. कंपनी ने ईमेल से भेजे बयान में कहा कि ग्लोबल एनसीएपी के परीक्षण न केवल भारत बल्कि यूरोप और अमेरिका में नियामकीय प्राधिकरणों द्वारा तय गति से अधिक पर किए गए हैं. ग्लोबल एनसीएपी के परीक्षणों को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए. ग्लोबल एनसीएपी ने रेनो की काफी अधिक बिकने वाली क्विड कार का तीन संस्करणों में परीक्षण किया गया. इनमें से एयरबैग्स के साथ किए गए परीक्षण भी हैं.
प्रत्येक परीक्षण में कार को बालिगों की सुरक्षा के लिए शून्य स्टार रेटिंग मिली है. उसने कहा कि दुर्घटना परीक्षण के नतीजों के बाद कंपनी ने क्विड के सुरक्षा प्रदर्शन में सुधार की बात कही है. ग्लोबल एनसीएपी ने कहा कि यह काफी हैरानी की बात है कि रेनो द्वारा बनाई गई क्विड को बिना इस आवश्यक खूबी के साथ बाजार में उतार दिया गया है. वार्ड ने कहा, ‘ग्लोबल एनसीएपी का मानना है कि दुनिया में कोई भी विनिर्माता ऐसे नए माडलों का विकास नहीं कर रहा है जो स्पष्ट रूप से गुणवत्ता के मामले में इतने नीचे हों. उन्होंने कहा कि कार कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नए मॉडल कम से कम संयुक्त राष्ट्र के न्यूनतम क्रैश परीक्षण नियमों पर खरे उतरें.
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