प्रधानमंत्री ने की ‘कैशलेस समाज” की पुरजोर वकालत

नयी दिल्ली : कैशलेससमाज की अवधारणा की पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इस व्यवस्था को अपनाने से पारदर्शिता आयेगी, हमें मुद्रा की जरुरत नहीं पडेगी, कारोबार सुगम होगा, दो-नंबरी कारोबार बंद हो जाएंगे और काले धन का प्रभाव कम हो जाएगा. आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2016 3:56 PM
नयी दिल्ली : कैशलेससमाज की अवधारणा की पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इस व्यवस्था को अपनाने से पारदर्शिता आयेगी, हमें मुद्रा की जरुरत नहीं पडेगी, कारोबार सुगम होगा, दो-नंबरी कारोबार बंद हो जाएंगे और काले धन का प्रभाव कम हो जाएगा.
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें आधुनिक भारत बनाना है. हमें पारदर्शी भारत बनाना है. हमें बहुत सी व्यवस्थाओं को भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक समान रूप से पहुंचाना है, तो हमारी पुरानी आदतों को भी थोडा बदलना पडेगा.” कैशलेस समाज को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि हमने बैंक ऑन मोबाइल की पहल शुरू की है, डाकघर को भी बैंकिंग सेवाओं के लिए सजग कर दिया गया है, साथ ही जन-धन, आधार और मोबाइल (जैम) का तालमेल करते व्यवस्थाएं बनाई हैं.
मोदी ने कहा, ‘‘ इन व्यवस्थाओं का अगर हम उपयोग करना सीख लेंगे और आदत डालेंगे, तो फिर हमें इस मुद्रा की जरुरत नहीं पडेगी, नोटों की जरुरत नहीं पडेगी, पैसे की जरुरत नहीं पडेगी, कारोबार अपने आप चलेगा और उसके कारण पारदर्शिता आएगी। दो-नंबरी कारोबार बंद हो जाएंगे। काले धन का तो प्रभाव ही कम होता जाएगा, तो मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं कि हम इसे शुरू करें. एक बार शुरु करेंगे, तो बहुत सरलता से हम आगे बढेंगे. ” उन्होंने कहा कि हमें स्कूल में पढाया जाता था कि एक जमाना था, जब सिक्के भी नहीं थे, नोट भी नहीं थे, आदान प्रदान का प्रचलन हुआ करता था कि आपको अगर सब्जी चाहिए, तो बदले में इतने गेहूं दे दो.
आपको नमक चाहिए, तो बदले में इतनी सब्जी दे दो. मोदी ने कहा कि आदान प्रदान से ही कारोबार चलता था. धीरे-धीरे मुद्रा आने लगी.. सिक्के आने लगे, नोट आने लगे. लेकिन अब वक्त बदल चुका है. पूरी दुनिया कैशलेस सोसाइटी की तरफ आगे बढ रही है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक प्रौद्योगिकी व्यवस्था द्वारा हम रुपये पा भी सकते हैं, रुपये दे भी सकते हैं. चीज खरीद भी सकते हैं, बिल चुकता भी कर सकते हैं. और इस सब में कभी बटुए की चोरी होने का तो सवाल ही नहीं उठेगा. हिसाब रखने की भी चिंता नहीं रहेगी, स्वत: ही हिसाब रहेगा. शुरुआत में थोडी कठिन लगेगी, लेकिन एक बार आदत लगेगी, तो ये व्यवस्था सरल हो जायेगी.

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