रघुराम राजन ने नहीं बदली RBI की रेपो रेट, खुद के अगले टर्म पर नहीं खोले पत्ते

मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आज जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्‍य नीतिगत दरों को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने इसकी घोषणा के साथ अच्छे मानसून के बाद दरें घटाने के संकेत दिये हैं. चालू वित्तीय वर्ष में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2016 11:35 AM

मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आज जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्‍य नीतिगत दरों को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने इसकी घोषणा के साथ अच्छे मानसून के बाद दरें घटाने के संकेत दिये हैं. चालू वित्तीय वर्ष में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की दूसरी माैद्रिक समीक्षा के संबंध बातचीत करने के लिए रघुराम राजन आज मीडिया से रू-ब-रू हुए, तो उनसे उनकी दूसरी पारी पर पत्रकारों ने सवाल किया और राजन ने थोड़े हास्य के साथ उनका शालीनता भरा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि यह सरकार के फैसले पर निर्भर करता है और जब खबर होगी तो आपको पता चल जायेगा. अभी कोई खबर नहीं है. दूसरे कार्यकाल पर राजन ने कहा कि मीडिया अभी थोड़ा और मजा ले. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल पर मीडिया में अटकलें लगायी जा रही हैं और वे उसका मजा खत्म नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी दूसरी पारी पर सरकार को निर्णय करना है और प्रधानमंत्री व वित्तमंत्री इस संबंध में फैसला लेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार व उनके बीच बातचीत के आधार पर ही यह फैसला लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि यह पता है कि चिट्ठियां लिखी गयी हैं. ध्यान रहे कि रघुराम राजन को पद से हटाने के लिए भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.

राजन ने कहा सरकार और मौजूदा पदाधिकारी रिजर्व बैंक गवर्नर के कार्यकाल विस्तार पर फैसला लेते हैं. राजन का कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो रहा है औरउनकी दूसरी पारी पर तमाम तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं.

राजन ने अपने जवाब से अपनी दूसरी पारी पर उसी तरह सस्पेंस कायम रखा है, जिस तरह वे अपनी मौद्रिक नीति व फैसलों में सस्पेंस कायम रखते हैं. पूर्व में अपनी दूसरी पारी पर वे कहा चुके हैं कि उनसे भी पूछा जाना चाहिए कि वह आखिर चाहते क्या हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी अखबार को दिये इंटरव्यू में कह चुके हैं कि यह प्रशासनिक विषय है और इसमें मीडिया को रुचि नहीं लेनी चाहिए. उधर, सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया है कि राजन की दूसरी पारी पर सरकार ने हां या ना दोनों में से कोई फैसला नहीं लिया है.

राजन ने कहा कि बैंकों के लेखे-जोखे को साफ सुथरा बनाने का काम जारी रहेगा, नरमी बरतने के पुराने दिनों की टरकाउ नीति अब नहीं चलेगी.

नीतिगत दरें उदार रहेंगी, बशर्ते माहौल अनुकूल हो

आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिम का उल्लेख करते हुए अपनी मुख्य नीतिगत दरें अपरिवर्तित रखी हैं लेकिन कहा कि केंद्रीय बैंक उदार मौद्रिक नीति का अपना रख बरकरार रखेगा बशर्ते आंकड़े अनुकूल हों.

रिजर्व बैंक ने अपनी द्वैमासिक नीतिगत समीक्षा में आज अपने अल्पकालिक ऋण पर ब्याज (रेपोरेट) को 6.5 प्रतिशत और बैंकों पर लागू आरक्षित-नकदी भंडार की अनिवार्यता चार प्रतिशत पर फिलहाल बरकरार रखा.

राजन ने समीक्षा में कहा है, ‘‘मुद्रास्फीति के अप्रैल के आंकड़े अप्रत्याशित रूप सेऊंचे रहने से मुद्रास्फीति की भावी दिशा कुछ और अधिक अनिश्चत हो गयी है …’. उन्होंने कच्चे तेल की बढती कीमतें और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन को इस मामले में ‘ बड़ा जोखिम ‘ बताया है. ‘ राजन ने ब्याज कम न करने के औचित्य के बारे में कहा, ‘‘अप्रैल की मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद आये आंकड़ों में मुद्रस्फीतिक का दबाव उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ा है. ऐसा कई खाद्य उत्पादों और जिंसों के मूल्यों के बढ़ने से प्रेरित हुआ है जिसका मौसमी उतार चढ़ाव से संबंध नहीं है.’

मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत के लक्ष्य पर कायम

मंहगाई का जोखिम बढ़ने के करने के बावजूद राजन ने मुद्रास्फीति के लक्ष्य को पांच प्रतिशत पर बरकरार रखा है पर साथ में कहा है कि यह इससे ऊंचा भी हो सकता है.

उन्होंने हालांकि इसके साथ ही मौसम विभाग की सामान्य से अधिक बारिश तथा उसके समय और भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि ये अच्छा रहने की भविष्यवाणी का उल्लेख किया. साथ ही उन्होंने आपूर्ति पक्ष की अड़चनों को दूर करने के उपायों, राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक कृषि-मंडी :ई-नाम: आदि का भी जिक्र किया, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति में अप्रत्याशित उछाल को सीमित रखने में मदद मिल सकती है.

मुद्रास्फीति में वृद्धि का जोखिम

आरबीआइ गवर्नर ने कहा, ‘‘इसके अलावा क्षमता उपयोग के संकेतकों से लगता है कि उद्योग के पास फिलहाल गुंजाइश है कि मांग बढने पर भी उत्पादन-मूल्य कम बने रह सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार में मूल्यों विशेष रूप से कच्चे तेल के दामों में बढोतरी तथा सातवें वेतन आयोग के लागू होने पर मुद्रास्फीति सूचकांक में बढोतरी का जोखिम है. उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के स्पष्ट होने पर उसके असर के अनुमानों को मुद्रास्फीति के आकलन में शामिल किया जाएगा.

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