RBI में दूसरी पारी के लिए राजन राजी नहीं, एकेडमिक कैरियर में करेंगे वापसी
मुंबई : लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर दिया. अचानक की गयी इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया. राजन ने रिजर्व […]
मुंबई : लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर दिया. अचानक की गयी इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया. राजन ने रिजर्व बैंक के कर्मचारियों को जारी संदेश में कहा, ‘‘उचित सोच-विचार और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ यह साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सिंतबर 2016 को गवर्नर के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौट जाऊंगा.’
इस बात को लेकर अटकलें काफी जोरों पर थीं कि राजन को रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर दूसरा कार्यकाल मिलेगा अथवा नहीं. खासतौर से तब जब भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने हाल ही में उन पर उनकी नीतियों को लेकर लगातार हमले किये. स्वामी ने कहा कि ब्याज दर के मामले में राजन की सख्त नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है. उल्लेखनीय है कि राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं और उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बारे में काफी पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी. स्वामी ने अन्य आरोप लगाने के साथ साथ राजन की सोच पूरी तरह भारतीय होने को लेकर भी सवाल उठाया था क्योंकि उनके पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजन पर स्वामी द्वारा खुलेआम किये जा रहे हमलों के बीच सार्वजनिक आलोचना को लेकर संयंम बरते जाने की अपील की, जबकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि हाल ही में राज्यसभा में नामित सांसद द्वारा की जा रही टिप्पणियां उनकी निजी राय है.
रिजर्व बैंक गवर्नर ने अपने सहयोगियों को लिखे पत्र में कहा है कि वह जरूरत पड़ने पर अपने देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध होंगे. राजन (53 वर्ष) को पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन(यूपीए) सरकार ने सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया था.
राजन ने यह भी कहा कि दो प्रमुख मामलों – मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और बैंक खातों को साफ-सुथरा बनाने – पर काम पूरा होना बाकी है और वह यह काम पूरा होते देखना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपना मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद पठन-पाठन की तरफ लौटने का फैसला किया है. शिकागो विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के छुट्टी पर चल रहे प्रोफेसर ने बिना कोई खास वजह बताए कहा कि उन्होंने काफी सोच-विचार और सरकार के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद कार्यकाल की समाप्ति पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौटने का फैसला किया है.
ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही थी कि रिजर्व बैंक गवर्नर पद से राजन के हटने का देश के वित्तीय बाजारों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इन दिनों ब्रेक्जिट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने), ग्रेक्जिट (यूनान के यूरोपीय संघ से बाहर होने) की तर्ज पर रेक्जिट (राजन के आरबीआइ छोड़ने) की पदावलि चर्चित हो गयी थी. गवर्नर ने अपने पत्र में इसका विशेष तौर पर कोई जिक्र तो नहीं किया लेकिन कहा कि रिजर्व बैंक ब्रेक्जिट जैसे बाजार में उतार-चढ़ाव लाने वाले खतरों से पार पा लेगा.
राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी (बी) जमा के भुगतान तथा उनके बाह्य प्रवाह को लेकर पर्याप्त तैयारी की है ताकि यह व्यवस्थित तरीके से हो. इसमें कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए. राजन उन चिंताओं के संबंध में कह रहे थे कि सितंबर-अक्तूबर में परिपक्व हो रहे इन बांड से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ने वाले अचानक दबाव का असर बाजार पर पड़ सकता है.
रिजर्व बैंक प्रमुख को आम तौर पर उद्योग और विशेषज्ञों ने सराहा है लेकिन स्वामी और कुछ अन्य नेताओं ने उनपर महंगाई को काबू में नहीं रख पाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने केलिए ब्याज दरें कम नहीं करने को लेकर लगातार हमले किये. गवर्नर ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके उत्तराधिकारी रिजर्व बैंक को नयी उंचाई पर ले जायेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं शिक्षक हूं और मैंने हमेशा साफ किया है कि मेरा आखिरी ठिकाना विचारों की दुनिया है. मेरा तीन साल का कार्यकाल खत्म होने वाला है और शिकागो विश्वविद्यालय से छुट्टी का भी. इसलिए यह विचार करने का सही समय था कि हमने कितना काम पूरा किया.’
उन्होंने कहा, ‘‘पहले-पहले दिन जो कामशुरू किया था वह पूरा हो गया लेकिन बाद के दो घटनाक्रमों का पूरा होना बाकी है. मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में है लेकिन मौद्रिक नीति समिति का गठन बाकी है जो अब नीति तय करेगी.’
यूपीए सरकार ने उन्हें तत्कालीन गवर्नर डी सुब्बाराव की जगह नियुक्त किया था. स्वामी द्वारा उन पर लगाये जा रहे आरोपों के बाद पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी उनका बचाव किया था और कहा था कि यूपीए सरकार ने उस समय सबसे प्रतिभाशाली अर्थशास्त्रियों में एक को आरबीआइ का गवर्नर नियुक्त किया था. दो दिन पूर्व पूर्व भाजपा नेता व वाजपेयी सरकार के अहम सदस्य रहे अरुण शौरी ने भी राजन का बचाव किया था और कहा था कि गड़बड़ियों के लिए वे अकेले दोषी नहीं हैं और उनकी क्षमता पर संदेह नहीं किया जा सकता है.
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