गवर्नर कोई हो, रिजर्व बैंक चलता रहेगा : रघुराम राजन

लंदन :रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि गवर्नर कोई भी हो, रिजर्व बैंक अपना काम करता रहेगा और ‘ इस पद की पहचान व्यक्तियों से’ नहीं की जानी चाहिए. राजन ने कल यह घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था कि उनकी दूसरे कार्यकाल में रुचि नहीं है.अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2016 7:27 PM

लंदन :रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि गवर्नर कोई भी हो, रिजर्व बैंक अपना काम करता रहेगा और ‘ इस पद की पहचान व्यक्तियों से’ नहीं की जानी चाहिए. राजन ने कल यह घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था कि उनकी दूसरे कार्यकाल में रुचि नहीं है.अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की भविष्यवाणी का श्रेय जाता है. सितंबर, 2013 में वह रिजर्व बैंक के गवर्नर बने थे और उनका तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर को खत्म हो रहा है. उन्हें ‘रॉकस्टार केंद्रीय बैंकर’ कहा जाता है.

उनको वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं में रुपये के उतार-चढाव को भी नियंत्रण में रखने का श्रेय जाता है. साथ ही राजन की मुद्रास्फीति को काफी हद तक नियंत्रण में रखने के लिए सराहना होती है. उन्होंने बैंकों पर अपने बही खातों को डूबे ऋण से साफसुथरा करने के लिए दबाव डालने का भी श्रेय दिया जाता है. ‘इकनामिस्ट’ पत्रिका ने अपने ताजा संस्करण में राजन के हवाले से कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण है कि इस पद(आरबीआई गवर्नर के पर) को किसी व्यक्ति से नहीं जोडा जाना चाहिए. गवर्नर कोई भी हो, यह चलता रहेगा.

यह किसी भी गवर्नर से बडा है.’ समझा जाता है कि उनकी यह टिप्पणी इस तरह की अटकलों के बाद आई थी कि क्या उन्हें गवर्नर के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलेगा यह नहीं. अपने वेब संस्करण में पत्रिका ने राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने की घोषणा पर लिखा है कि यह भारत के लोकप्रिय पार्लर खेल का अंत है. इसमें लिखा है कि बैंकिंग प्रणाली को साफसुथरा करने के लिए उन्होंने जो पहल उससे ताकतवर तथा ऋण के बोझ से दबे भारत के शक्तिशाली उद्योगपति विचलित हो गये थे. पत्रिका ने यह भी कहा कि राजन ने भारत से धन ले जाने और लाने के नियम आसान किए पर पूंजी खाते पर नियंत्रण उस तरह खत्म नहीं किया जैसी की आप ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री से आप अपेक्षा की होगी.

राजन के उत्तराधिकारी के लिए एक दर्जन से अधिक नामों पर अटकलें

रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन का उत्तराधिकारी कौन होगा, इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. राजन के उत्तराधिकारी के लिए रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल, पूर्व कैग विनोद राय से लेकर एसबीआई प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य के नाम चर्चा में हैं. हालांकि, राजन का उत्तराधिकारी कौन होगा इसको लेकर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. राजन ने कल सबको हैरान करते हुए घोषणा की थी कि उनकी दूसरा कार्यकाल लेने में रुचि नहीं है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके बाद कहा था कि उनके उत्तराधिकारी की घोषणा जल्द की जाएगी. जिन नामों पर अटकलें चल रही हैं उनमें पटेल को रिजर्व बैंक में महंगाई के मोर्चे पर राजन का लेफ्टिनेंट कहा जाता है.

वहीं एसबीआई चेयरपर्सन के रूप में भट्टाचार्य का कार्यकाल भी सितंबर में समाप्त हो रहा है. इसी महीने राजन का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है. पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राय को 2जी घोटाला खोलने वाला माना जाता है. इस समय वह नवगठित बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) के प्रमुख हैं, जो सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नियुक्ति के अलावा बैंकिंग सुधारों के बारे में सलाह देगा. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु, राजस्व सचिव शक्तिकान्त दास, वित्त मंत्री के पूर्व सलाहकार पार्थसारथी शोम, ब्रिक्स बैंक के प्रमुख के वी कामत तथा सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा का नाम भी चर्चा में है.

राजन की तरह सिन्हा को पूर्व संप्रग सरकार के कार्यकाल में सेबी का चेयरमैन बनाया गया था और राजग सरकार ने इस साल उन्हें विस्तार दिया था. जिन अन्य नामों पर अटकलें चल रही हैं उनमें रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन और सुबीर गोकर्ण, पूर्व वित्त सचिव विजय केलकर, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अशोक लाहिडी तथा प्रबुद्ध अर्थशास्त्री और वैद्यनाथन शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों से संपर्क नहीं हो पाया. मोहन ने कहा कि अभी उनकी उम्मीदवारी पर बात करना जल्दबाजी होगा.

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार बसु ने ट्विट किया कि राजन दुनिया में कहीं भी सबसे बेहतरीन केंद्रीय बैंकर हैं. आमतौर पर रिजर्व बैंक गवर्नर पद के लिए आवेदन आमंत्रित करने की परंपरा नहीं है. खबरों में कहा गया है कि एक उच्चस्तरीय वित्तीय क्षेत्र नियामक नियुक्ति खोज समिति को उम्मीदवारों का नाम छांटने को कहा जा सकता है. इसके बाद सरकार इस पर अंतिम फैसला करेगी. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा की अगुवाई वाली यह समिति संभावित उम्मीदवारों का नाम छांटेगी या नहीं. या फिर यह काम मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) करेगी. उद्योग जगत के दिग्गजों तथा अर्थशास्त्रियों का कहना है कि राजन का उत्तराधिकारी बनने वाले व्यक्ति के लिए राह आसान नहीं होगी.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version