देश को पहले NPA से निपटने की जरूरत : रघुराम राजन
मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने देश को ठोस घरेलू नीतियों तथा सुधारों की राह पर बनाए रखने की जरुरत पर बल देते हुए कहा है कि ऋण की वृद्धि की समीक्षा करने से पहले बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता (ऋण वसूली के संकट) से निपटने की जरुरत है. रिजर्व बैंक द्वारा आज […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
June 28, 2016 9:31 PM
मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने देश को ठोस घरेलू नीतियों तथा सुधारों की राह पर बनाए रखने की जरुरत पर बल देते हुए कहा है कि ऋण की वृद्धि की समीक्षा करने से पहले बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता (ऋण वसूली के संकट) से निपटने की जरुरत है. रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की प्रस्तावना में राजन ने कहा है, ‘‘बैंकिंग क्षेत्र का दबाव कारपोरेट क्षेत्र के दबाव का आइना है. ऋण की वृद्धि में सुधार के लिए पहले इससे निपटने की जरुरत है.” राजन ने कहा कि हमें विरासत के मुद्दों से निपटने की जरुरत है जो वृद्धि को रोक रहे हैं.
इसके साथ ही हमें बदलाव लाने तथा कारोबारी प्रक्रियाओं और व्यवहार को दक्ष करने की जरुरत है. वैश्विक परिप्रेक्ष्य में राजन ने कहा कि देश अपनी मजबूत वृद्धि तथा आर्थिक बुनियाद में सुधार के मद्देनजर बेहतर स्थिति में है. लेकिन हमें ठोस घरेलू नीतियों तथा बुनियादी सुधारों की जरूरत है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में अपने तीन साल के कार्यकाल में राजन ने मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित किया है और ब्याज दरों को उंचा रखा। इस वजह से वृद्धि समर्थन लॉबी लगातार उनकी आलोचना करती रही है. दुनिया से मिल रहे मिलेजुले संकेतों पर राजन ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत में सुधार सुस्त व असमान है साथ ही कुछ देशों में मौद्रिक नीति रूख में बदलाव से भी अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो रही है.
वैश्विक अस्थिरता के बावजूद उभरते बाजारों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे अलग और मजबूत
रिजर्व बैंक ने कहा है कि वैश्विक बाजारों की अस्थिरता, बैंकिंग क्षेत्र से जुडी चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवसथा मजबूत आर्थिक वृद्धि और वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के साथ अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले अलग दिखाई देती है.रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा गया है, ‘‘उपभोक्ता जिंसों का शुद्ध आयातक होने के बावजूद भारत कारोबार सुगमता को बेहतर बनाने के प्रयासों के साथ भारत उभरते बाजारों के मध्य आर्थिक वृद्धि के मामले में अलग खडा दिखाई देता है.”
इसमें कहा गया है कि बैंकिंग क्षेत्र में चुनौतियां होने के बावजूद देश की वित्तीय प्रणाली लगातार स्थिर बनी हुई है.रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ बढते जुडाव की वजह से देश पर पडने वाले असर को देखते हुये ठोस घरेलू नीतियों को लगातार आगे बढाने के साथ साथ ढांचागत सुधार काफी महत्वपूर्ण हो गये हैं. रिपोर्ट में इस बात को लेकर भी सतर्क किया गया है कि भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बडा उपभोक्ता है. ऐसे में वैश्विक बाजारों में उपभोक्ता जिंस के दाम में आने वाले चक्रीय बदलाव को लेकर सतर्क रहने की जरुरत है. इसके साथ ही इन परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था का तालमेल बिठाने की तैयारी पर भी गौर किया जाना चाहिये.
कच्चे तेल के दाम फरवरी में 30 डालर प्रति बैरल से भी नीचे जाने के बाद पिछले कुछ महीनों में काफी उपर पहुंच चुके हैं. हालांकि, इसमें कहा गया है कि इस समय देश की बाह्य स्थिति मजबूत लगती है. एतिहासिक उंचाई पर पहुंचे 363.83 अरब डालर के विदेशी मुद्रा भंडार और कच्चे तेल के घटे दाम से व्यापार घाटा भी निम्न स्तर पर है. इसमें कहा गया है कि राजस्व घाटे को कम करने और सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इसके साथ ही कर आधार बढाकर कर राजस्व बढाने की भी आवश्यकता है.
बैंकों का सकल एनपीए मार्च तक 9.3 प्रतिशत पर पहुंचेगा
देश में डूबे कर्ज की स्थिति और खराब होने की आशंका जताते हुए रिजर्व बैंक ने आज कहा कि बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां :एनपीए: 2016-17 के अंत तक 9.3 प्रतिशत के उंचे स्तर पर पहुंच सकती हैं. मार्च, 2016 में यह 7.6 प्रतिशत थीं. रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों का सकल एनपीए सितंबर, 2015 में 5.1 प्रतिशत था.
रिजर्व बैंक द्वारा जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (फएसआर)में कहा गया है कि संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा के बाद सितंबर, 2015 से मार्च, 2016 के दौरान बैंकों का सकल ऋण पर सकल एनपीए 5.1 प्रतिशत से बढकर 7.6 प्रतिशत हो गया. कुल ऋण पर शुद्ध गैर निष्पादित आस्तियां इस अवधि में बढ़कर 2.8 प्रतिशत से 4.6 प्रतिशत हो गईं। रिपोर्ट में कह गया है कि वृहद दबाव परीक्षण से यह तथ्य सामने आया है कि आधारभूत परिदृश्य में भी बैंकों का जीएनपीए अनुपात मार्च, 2017 तक बढकर 8.5 प्रतिशत हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भविष्य में वृहद परिदृश्य और कमजोर होता है तो जीएनपीए अनुपात मार्च, 2017 तक बढकर 9.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा.
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