नयी दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने अपनी ही पार्टी की सरकार पर जमकर हमला बोला है. बेहद तीखे अंदाज में लिखा उनका लेख ऐसे समय में आया है जब उनके बेटे और हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा को वित्त राज्य मंत्री के पद से हटा करनागरिक उड्डयन मंत्रालय भेज दिया गया.
यशवंत सिन्हा ने सरकार की जीडीपी गणना के तरीके पर सवाल उठाया है. एऩडीटीवी की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में उन्होंने लिखा कि पिछले दो सालों में भारत का विकास दर काफी बढ़िया रहीहै.साल 2015-16 में 7.2 प्रतिशत रहा है. इस साल के आखिरी तिमाही में जीडीपी 7.9 प्रतिशत बताया गया है. नयी सरकार आने के बाद जीडीपी गणना के नये तरीके आये. इस नये नियम के तहत विकास दर का अनुमान उत्पादन से नहीं बल्कि वेल्यू एडेड सर्विस से तय होने लगी.
यशवंत सिन्हा ने यह भी लिखाहैकि कांग्रेस भी जीडीपी आंकड़े पर सवाल नहीं उठा रही है, क्योंकि नये आंकड़ेउसकेलिए भी राहत भरी खबर साबित हो रही है. खासतौर से यूपीए शासनकाल के अंतिम दो वर्षों में यूपीए के विकास दर के आंकड़े बेहद खराब रहे हैं. उन्होंने कहा कि आपूर्ति की वृद्धि दरदेखी जाये तो 7.9 प्रतिशतरहीहै, वहीं डिमांड की वृद्धि दर 5.4 प्रतिशतरहीहै. ये दोनों ही आंकड़े विरोधाभासीहैं. जब सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़ रहा हो, निजी निवेश में वृद्धि न हो, एग्रीकल्चर सेक्टर दवाब में रहता हो सर्विस सेक्टर ठहरा हुआ हो तब ऐसे आंकड़े सच नहीं साबित हो सकते हैं.
पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी लिखा है कि निर्यात में लगातार गिरावट हो रही है. अब अमेरिका भी कह रहा है कि जीडीपी के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेशकिये गये. देशी चिंतकों की बात छोड़िये, आप हमारी आलोचना स्वीकार नहीं कर सकते, लेकिन आप अमेरिका की राय को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि जब मैंजिलाधिकारीथा, हमलोग उस वक्त राजस्व कर्मचारी से डाटा इकट्ठा करते थे. उसके पास आंकड़ा संग्रह के कोई ठोस तरीके नहीं थे, अपनी आंखों से देखे हुई चीज पर विश्वास कर रिपोर्ट तैयार करता था. मैंने 1999 में बजट पेश करने के दौरान इन सब मामलों के अध्ययन के लिए एक कमिटी बनायी थी.हमारे आंकड़े अगर विश्वसनीय नहीं होंगे तो यह देश के लिए घातक सिद्ध होगा.
मोदी सरकार के अमेरिका के प्रति बढ़ते झुकाव पर चुटकी लेते हुए सिन्हा ने लिखा, यदि घरेलू आलोचना को नजरंदाज भी कर दिया जाये तो भी सरकार को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना चाहिये क्योंकि उसके सबसे ‘‘अच्छे मित्र -अमेरिका’ ने भी इन आंकड़ों के बारे में असंतोष जताया है. सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2015-16 में 1,40,000 करोड़ रुपये के आंकड़ों की विसंगति की वजह से आर्थिक वृद्धि दर अधिक बढी हो सकती है क्योंकि एक साल पहले यह आंकड़ा केवल 30,000 करोड़ पर था. यदि इस विसंगति को दूर किया जाता है तो उसके बाद वृद्धि का आंकड़ा तेजी से नीचे आ सकता है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों का मूल्यांकन के मानदंडों में बदलाव किया जिसके बाद आर्थिक वृद्धि के पिछले आंकड़ों में काफी तेजी आ गयी. सिन्हा ने इस बात को लेकर भी आश्चर्य जताया कि वृद्धि आंकड़ों को जारी करने वाला सांख्यिकी विभाग क्या इन बदलावों के लिये पूरी तरह से तैयार था.
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