सिंगापुर: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने 2008 के दौर को याद करते हुए कहा कि यह रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर उनकी अग्नि परीक्षा जैसा था. यह वह समय था जब लेहमन ब्रदर्स जैसी संस्थाएं धराशायी हो रही थीं और वैश्विक वित्तीय क्षेत्र को ‘आसन्न मृत्यु’ की परिस्थिति में ला दिया था.
सुब्बाराव ने अपनी किताब ‘हू मूव्ड माइ इंटरेस्ट रेट्स’ के विमोचन के मौके पर कहा, ‘‘मैं अपने कामकाज को ठीक से संभाल पाता कि इससे पहले ही मुझे आपदा प्रबंधन में कूदना पड़ा.’ सुब्बाराव ने आरबीआई गवर्नर के तौर पर शुरुआती महीनों के बारे में कहा, ‘‘यह मेरी अग्निपरीक्षा जैसा था.’ रिजर्व बैंक के, 66 वर्षीय, पूर्व गवर्नर ने स्वीकार किया कि आरबीआई में अपने पांच साल के कार्यकाल के शुरआती दौर में वह ‘नौसिखिया’ थे जबकि इस दौर में भारत और दुनिया भर में मुश्किल दौर था. उन्होंने कहा कि जब लेहमन ब्रदर्स के कारण वैश्विक वित्तीय क्षेत्र ‘आसन्न मृत्यु’ के अनुभव के दौर में प्रवेश कर गया था.
सुब्बाराव आरबीआई के 22वें गवर्नर थे और उनका कार्यकाल पांच सितंबर 2008 से चार सितंबर 2013 तक था. सुब्बाराव ने कहा, ‘‘संकट पर पहल इसलिए भी जटिल हो गई कि वह अनजान थे और बाजारों को उन्हें आंकने, उनकी नीतिगत राय और उनकी बातें तथा देह-भाषा समझने के लिए शायद ही समय मिला हो.’ सिंगापुर में दक्षिण एशियाई प्रवासी सम्मेलन में अपनी किताब का विमोचन करते हुए नौकरशाह और अर्थशास्त्री ने कहा कि रिजर्व बैंक में उनका पांच साल का पूरा कार्यकाल एक के बाद एक संकट का रहा.भारत के ज्यादातर अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले जल्दी उबरने के बावजूद रिजर्व बैंक को दशक भर के उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति से शायद ही राहत मिली.
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