जीएसटी बिल राज्यसभा में पास होने से पहले जान लें उससे जुड़ी काम की ये दस बातें

नयी दिल्ली : बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक जीएसटी बिल पेश करेगी. इस दौरान जीएसटी बिल पर चर्चा होगी और कांग्रेस के थोड़े नम्र रुख से ऐसे संकेत हैं किइसबार यह बिल राज्यसभा में पारित हो जायेगा.वित्तमंत्री अरुण जेटलीकेलिए इस बिलको पारित करानाउनकेकार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 2, 2016 12:58 PM

नयी दिल्ली : बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक जीएसटी बिल पेश करेगी. इस दौरान जीएसटी बिल पर चर्चा होगी और कांग्रेस के थोड़े नम्र रुख से ऐसे संकेत हैं किइसबार यह बिल राज्यसभा में पारित हो जायेगा.वित्तमंत्री अरुण जेटलीकेलिए इस बिलको पारित करानाउनकेकार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने भी संभावना जतायी है कि यह बिल अब संसद में पारितहो जायेगा. लोकसभा में यहपिछलेसाल मानसूनसत्र में 12 अगस्त को पारित हुआ था. अब अगर यह बिल राज्यसभा में पारित होता है, तो उसे देश के आधे से अधिक राज्यों की विधानसभा से पारित कराना होगा, उसके बाद यह कानून की शक्ल लेगा और देश में एक समान वस्तु एवं सेवा कर लागू होगा, जो अभी भिन्न-भिन्न प्रकार की है.

टैक्स सुधारों को लेकर यह एक ऐसा विधेयक है, जिससे उद्योग जगत का विश्वास बहाल होगा और आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी और उनके लिए कई तरह की सेवाएं व वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं. जानिए उससे जुड़ी 10 अहम बातें :

1. वर्तमान में अभी सामानों पर 30 से 35 प्रतिशत तक टैक्स देना पड़ता है, जीएसटी पास होने पर वह घटकर18 से 25 प्रतिशत के बीच होगा. ज्यादातर देशों में जीएसटी 14 से 16 प्रतिशत के बीच है.

2. जीएसटी पारित होने से भले ही राज्यों के टैक्स अधिकार सीमित हो जायेंगे, लेकिन इससे सहयोगात्मक संघवाद की अवधारणा मजबूत होगी. जीएसटी के संबंध में निर्णय लेने वाली परिषद में दो तिहाई राज्यों के सदस्य होंगे और केंद्र में एक तिहाई सदस्य होंगे. फैसला 75 प्रतिशत के बहुमत से लिया जायेगा, जिससे निश्चित रूप से राज्यों की भूमिका बढ़ेगी.

3. जीएसटी लागू होने के बाद उत्पादक व औद्याेगिक राज्यों,जैसे:तमिलनाडु,महाराष्ट्र,गुजरात आदि को आर्थिक नुकसान होगा. इनको होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए संवैधानिक गारंटी का प्रावधान होगा और केंद्र उसकी भरपाई करेगा.

4. एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने वापस ले लिया है, यह राज्यों के लिए राहत वाली बात है. इस पर कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने भी सहमति दी है.

5. जीएसटी विधेयक पर नीतीश कुमार की जदयू व मुलायम सिंह यादव की सपा ने मोदी सरकार का समर्थन कर दिया है, जिसके बाद कांग्रेस के पास विकल्प सीमित हो गये हैं. ऐसे में संभव है कि वह भी इस विधेयक का अब समर्थन करे. इस विधेयक के पारित होने से उत्तरप्रदेश जैसे राज्य को लाभ होगा. वहां अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में कांग्रेस अपनी नाकारात्मक छवि नहीं बनाना चाहेगी और चाहेगी कि वह भी इसके पास होने का क्रेडिट ले.

6. जीएसटी लागू हो जाने के बाद पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था होगी, जिससे हर जगह चीजें एक मूल्य पर मिलेगी. अभी भिन्न राज्यों में वस्तुओं व सेवाओं का अलग-अलग कर चुकाना पड़ता है. इससे मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी और उद्योग जगत को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

7. केंद्रीय बिक्री कर यानी सीएसटी खत्म हो जायेगा. प्रवेश शुल्क और चुंगी भी नहीं वसूली जायेगी. अलग-अलग की बजाय एक टैक्स वसूलने की वजह से चीजों के दाम सस्ते हो जायेंगे, जिससे आम आदमी को लाभ होगा. जीएसटी लागू होने से घर खरीदना, रेस्त्रां का बिल,मालढुलाई, एयरकंडिशनर, माइक्रोवेव, फ्रिज, वाशिंग मशीन आदि सस्ते हो जायेंग.हालांकिज्वेलरी, चाय, काॅफी सहित कुछ उत्पाद महंगे हो सकते हैं.

8. आप आज भी कोई वस्तु खरीदते होंगे तो उस पर आपसे अतिरिक्त राशि वैट बोल कर वसूली जाती है. दरअसल जीएसटी भी एक वैट है, जो अब वस्तु के साथ सेवा के स्तर पर भी लगेगा. जीएसटी दो स्तरों पर लगेगा, एक केंद्रीय व दूसरा राज्य के स्तर पर. एक तीसरे स्तर यानी दो राज्यों के बीच के कारोबार में भी टैक्स वसूला जायेगा. यानी जीएसटी तीन स्तरों पर लागू होगा.

9. राज्यों को इस बिल से राजस्व और स्वायत्ता के नुकसान का भय था. सबसे ज्यादा चिंता पेट्रोलियम उत्पाद को लेकर है, क्योंकि राज्य की कमाई मुख्यत: इसी से होती है. अत: पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखने की व्यवस्था है.

10. वर्तमान में विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ सरकार के कर विवाद मीडिया में सुर्खियां बनती रही है. जीएसटी लागू होने के बाद इसकी संभावना कम हो जायेगी. जीएसटी में विवाद निस्तारण के लिए एक मैकेनिज्म तैयार किये जाने की संभावना है, ताकि ऐसे विवाद न हो और घरेलू के साथ विदेशी निवेश आकर्षित हो.

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