राज्यसभा से पास होने के बाद भी GST को इन 5 प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत

नयी दिल्ली : बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में गुड्स एण्‍ड सर्विसेज टैक्स बिल (जीएसटी) पेश कर दिया है. बुधवार को सदन के पटल पर इसे चर्चा के लिए रखा गया है. विपक्ष के लगातार विरोध के कारण यह बिल पिछले 15 महीनों से राजयसभा में लटका हुआ है. लोकसभा में पास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2016 3:27 PM

नयी दिल्ली : बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में गुड्स एण्‍ड सर्विसेज टैक्स बिल (जीएसटी) पेश कर दिया है. बुधवार को सदन के पटल पर इसे चर्चा के लिए रखा गया है. विपक्ष के लगातार विरोध के कारण यह बिल पिछले 15 महीनों से राजयसभा में लटका हुआ है. लोकसभा में पास करा लेने के बाद भी सरकार अभी तक इसे राज्यसभा में पास करवाने में विफल रही है. जीएटी के राज्यसभा के इस सत्र में पास होने की उम्मीद है. इसके बावजूद भी सरकार के सामने इसे लागू करने में कई बड़ी बाधाएं हैं. सबसे बड़ी बाधा राज्य सरकारों को इसके लिए तैयार करना है. 1 अप्रैल 2017 से इसे पूरे देश में लागू करने का लक्ष्‍य रखा गया है. विशेषज्ञों की मानें तो यह लक्ष्‍य संभव नहीं है. आइए जानते हैं उन 5 प्रक्रिया के बारे में जो अभी भी जीएसटी लागू होने के लिए जरूरी हैं.

राज्यसभा : राज्यसभा में चर्चा के लिए जीएसटी बिल रखे जाने के बाद भी उसके पारित होने पर अभी संशय बरकरार है. लोकसभा में यह बिल पिछले ही साल पारित हो चुकाहै, इसके बाद अब इसे राज्यसभा में भी दो तिहाई बहुमत के साथ पारित कराना होगा.इसके बाद इसे राष्‍ट्रपति के पास भेजा जायेगा. बाद में इसे राष्‍ट्रपति लोकसभा में भेजेंगे.

लोकसभा : राज्यसभा में पारित होने के बाद उन सुधारों को बिल में शामिल कर बिल राष्‍ट्रपति के पास भेजा जायेगा. उसके बाद सुधारों के साथ जीएसटी बिल को एकबार फिर लोकसभा में रखा जायेगा. लोकसभा में भी संसोधित बिल को पारित करवाने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्‍यकता होगी.

राज्य : दोनों सदनों में पारित होने के बाद जो मूल प्रति तैयार होगी, राष्‍ट्रपति उसे सभी राज्यों के विधानसभा को भेजेंगे. विधानसभाओं में पारित होने के बाद ही इसे देशभर में लागू किया जा सकेगा. सरकार अगर इसे देशभर में लागू करना चाहती है तो 50 फीसदी राज्यों की सहमति आवश्‍यक है. इस प्रकार 15 राज्यों की विधानसभाओं में इसे दो तिहाई बहुमत से पारित करवाना होगा.

राजपत्र : इस प्रकार 50 फीसदी राज्यों की सहमति के बाद यह बिल पुन: राष्‍ट्रपति के पास आयेगा. राष्‍ट्रपति की मंजूरी के बाद इस बिल को राजपत्र में अधिसूचित किया जायेगा. संविधान संसोधन बिल होने के कारण संविधान में संसोधन कर इस बिल की मूल प्रति दुबारा तैयार की जायेगी. इस मूल प्रति फिर से एक बार लोकसभा और राज्यसभा के सामने रखा जायेगा.

पुन: पेश : उपरोक्त सभी प्रक्रियाओं को निपटाने के बाद सरकार मूल जीएसटी बिल को फिर से संसद में पेश करेगी. जो संभवत: शीतकालीन सत्र में होगा. उसके बाद सरकार ने 1 अप्रैल 2017 का लक्ष्‍य रखा है उस लक्ष्‍य को प्राप्त करने के लिए काफी परिश्रम करना होगा. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि 1 अप्रैल 2017 तक इसे लागू कर पाना संभव नहीं है.

इन बदलावों के साथ राजी हुआ विपक्ष

एक फीसदी अतिरिक्त कर : जीएसटी में उल्लेखित राज्यों से एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को समाप्त कर दिया गया है. संशोधित विधेयक में एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स का प्रावधान हटाते हुए राज्यों को पांच साल तक नुकसान की केंद्र से 100 फीसदी भरपाई का प्रावधान जोड़ा गया है.

जीएसटी काउंसिल का गठन : दूसरे बदलाव के रूप में केंद्र सरकार ने केंद्र और राज्यों के बीच होने वाले मतभेद को दूर करने के लिए एक जीएसटी काउंसिल बनाने का भरोसा दिलाया है. केंद्र और राज्यों के बीच विवाद उभरने पर जीएसटी काउंसिल इसे देखेगी और फैसला करेगी. इस काउंसिल में केंद्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे.

राज्यों को अधिकार : केंद्र सरकार अगर पूरे देश में जीएसटी लागू कर देती है और उसके बाद राज्यों को कुछ नुकसान होता है तो उसकी भरपाई केंद्र करेगी. इसके बावजूद एक और अहम बदलाव के तहत आपाल स्थिति में राज्यों को अधिकार होगा कि वे टैक्स की सीमा बढ़ाएं. इसके अलावे पांच पेट्रोलियम और शराब पर जीएसटी लागू नहीं होगा. राज्य सरकारें अपने सुविधानुसार इन पर टैक्स लगाने के लिए स्वतंत्र होंगी.

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