सुब्रत राय को न्यायालय ने नहीं दी विदेश जाने की अनुमति

नयी दिल्ली : सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को फिलहाल देश में ही रहना होगा क्योंकि निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने का विवरण न देने पाने के कारण उनके विदेश जाने पर पाबंदी लगाने के आदेश में ढील देने से उच्चतम न्यायालय ने आज इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 28, 2014 3:43 PM

नयी दिल्ली : सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय को फिलहाल देश में ही रहना होगा क्योंकि निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने का विवरण न देने पाने के कारण उनके विदेश जाने पर पाबंदी लगाने के आदेश में ढील देने से उच्चतम न्यायालय ने आज इंकार कर दिया.

न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने दो टूक शब्दों में कहा कि निवेशकों को 22,885 करोड़ रुपये लौटाने के सहारा समूह के दावे के संबंध में इस धनराशि के स्नेत से संबंधित दस्तावेज पेश किये जाने पर ही उन्हें देश से बाहर जाने की इजाजत दी जायेगी. न्यायालय ने कहा कि यदि कंपनी इस धनराशि के स्नेत की जानकारी मुहैया कराने में विफल रही तो फिर समूह के खिलाफ ‘आगे जांच’ का आदेश दिया जायेगा.

न्यायालय सुब्रत राय के वकील की इस गुहार को दरकिनार कर दिया कि उनके मुवक्किल को कारोबार के सिलसिले में विदेश जाने की अनुमति दी जायवकील ने न्यायालय को भरोसा दिया कि राय सुनवाई की अगली तारीख से पहले स्वदेश लौट आयेंगे. न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘सब कुछ एक दायरे में ही घूम रहा है. हम सुनवाई की अगली तारीख पर इस प्रकरण के इस पहलू को खत्म करना चाहते हैं. यदि आप स्नेत की जानकारी देंगे तो अगली ही दिन हम आपको विदेश जाने की इजाजत दे देंगे.’’ न्यायालय ने कहा कि कंपनी ही विवरण पेश करने में विलंब कर रही है. न्यायालय ने सहारा समूह को निर्देश दिया कि 11 फरवरी तक बैंकों के विवरण सहित सेबी द्वारा मांगे गये सारे दस्तावेज मुहैया कराये जायें. न्यायालय 11 फरवरी को इस मामले में आगे सुनवाई करेगा.

निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपये नहीं लौटाने के कारण न्यायालय ने सहारा समूह पर सख्ती करते हुये पिछले साल 21 नवंबर को सुब्रत राय के देश से बाहर जाने और उसकी किसी भी संपत्ति की बिक्री पर रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने नौ जनवरी को सहारा को 22,885 करोड़ रुपये के स्नेत की जानकारी देने अन्यथा सीबीआई और कंपनी रजिस्ट्रार से जांच का सामना करने के लिये तैयार रहने की चेतावनी दी थी. सहारा समूह को स्पष्ट संदेश देते हुये न्यायालय ने कहा था कि न्यायिक निर्देशों का उल्लंघन करने के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई करने में वह असहाय नहीं है. शीर्ष अदालत ने धन के स्नेत की जानकारी न देने के लिए सुब्रत राय को आड़े हाथ लिया था. शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त, 2012 को सहारा समूह को निर्देश दिया कि नवंबर के अंत तक निवेशकों को 24 हजार करोड़ लौटाये जायें. यह समय सीमा बाद में बढाते हुये न्यायालय ने उसे 5120 करोड़ रुपए तत्काल जमा कराने और दस हजार करोड़ रुपये जनवरी, 2013 के प्रथम सप्ताह में तथा शेष रकम फरवरी के पहले सप्ताह में जमा कराने का निर्देश दिया था.

सहारा समूह ने 5120 करोड़ रुपये तो पांच दिसंबर, 2012 को जमा करा दिये थे लेकिन वह शेष राशि जमा नहीं करा सका. सहारा समूह की दो कंपनियों, इनके प्रमोटर राय और निदेशक वंदना भार्गव, रवि शंकर दुबे ओर अशोक राय चौधरी को न्यायालय ने निर्देश दिया था कि निवेशकों से एकत्र की गयी राशि बाजारा नियामक सेबी के पास जमा कराई जाएगी. सुब्रत राय, सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प तथा सहारा इंडिया हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कार्प और इनके निदेशकों के खिलाफ सेबी ने शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर कर रखी है.

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